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लेखन यात्रा की यह एक सफल शुरूआत है। मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि उसकी प्रवाहपूर्ण लेखनी से अनेक नये ग्रंथों का निर्माण होगा और वह साहित्य जगत को और ज्यादा समृद्ध बनाने में अपना योगदान अर्पण करेगी।
नीलांजना एक प्रतिभाशाली एवं परिपक्व साध्वीरत्ना है। उसमें अध्ययन की तीव्र रूचि है। बौद्धिक क्षमता से परिपूर्ण नीलांजना की ग्रहण-शक्ति अद्भुत है। उसमें आत्मविश्वास गहरा है, जो उसे लेखन आदि क्षेत्रों मे नई ऊँचाइयाँ देता है।
शोध-कार्य की पूर्णता का अवसर व्यक्ति को नाम भी देता है तो जिम्मेदारी भी देता है। नीलांजना पर अब जिम्मेदारी आ गई है, क्योंकि अब उसे अपने नाम के आगे लगे 'डॉ.' शब्द को पूर्ण सार्थक करना है। इसका अर्थ है कि उसे प्रतिवर्ष शोध-कार्य, लेखन-कार्य करते ही रहना
ऐसा नहीं कि डिग्री ली और अब साहित्य से इतिश्री कर ली। अब उसे प्रतिवर्ष दो या तीन ग्रन्थों पर कार्य लगातार करना है।
मेरी परमात्मा एवं दादागुरूदेव से यही प्रार्थना है कि वह अपने लक्ष्य को केन्द्र में रखकर निरंतर नये-नये आयामों का स्पर्श करती रहे।
मेरी बहिन (चचेरी) एवं मेरी बहिन की शिष्या होने के नाते मेरे अगणित आशीष एवं शुभकामनाएँ सदा उसे उपलब्ध हैं। उसके हार्दिक मंगल भविष्य की शुभकामना के साथ.....
मार
(उपाध्याय मणिप्रभसागर)
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