SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०६ अचलगच्छ का इतिहास देवविधान के आग्रह पर की थी। अंचलगच्छदिग्दर्शन, पृ० ४०९-१० अंचलगच्छदिग्दर्शन, पृ० ४०८, ४१०. शीतिकण्ठ मिश्र, पूर्वोक्त, भाग २, पृ० २३६-३७. मुनिपुण्यविजय, “एक ग्रन्थनी प्रशस्ति" जैनसत्यप्रकाश, वर्ष १२, अंक २, टाइटिल पृ० २. ८७. द्रष्टव्य, इसी निबन्ध के प्रारम्भ में दी गयी अंचलगच्छीय आचार्यों की पट्टपरम्परा ८८-८९. लघुपट्टावली, पृ० १५६-५७. ९०. वही, पृ० १५८-५९. ९१. द्रष्टव्य, कल्याणसागरसूरि के शिष्य-प्रशिष्यों की तालिका के अन्तर्गत ९२-९४. लघुपट्टावली, पृ० १६१-६२. ९५-९६.वही, पृ० १६५-६६. ९७. वही, पृ० १७०. ९८. संभवनाथ जिनालय, गोपीपुरा-सूरत में इसी तिथि की प्रतिष्ठापित १० अन्य जिनप्रतिमायें भी है। यद्यपि इनमें कीर्तिसागरसूरि का नाम नहीं मिलता फिर भी ऐसा निश्चयपूर्वक कहा जा सकता उक्त जिन प्रतिमाओं के निर्माण की प्रेरणा भी उक्त आचार्य से ही प्राप्त हुई होगी। - द्रष्टव्य अंचलगच्छीयलेखसंग्रह, लेखांक ८३३-८४८. ९९-१००. लघुपट्टावली, पृ० १७१. १०१-१०२. अंचलगच्छदिग्दर्शन, पृ० ५१६-१७. १०३. अचलगच्छीयलेखसंग्रह, लेखांक ३२६. १०४-१०५. अंचलगच्छदिग्दर्शन, पृ० ५१५-१६. १०६. वही, पृ० ५१८-१९; अंचलगच्छीय लेखसंग्रह, लेखांक ८५३. १०७. वही, पृ० ५१९; अंचलगच्छीय लेखसंग्रह, लेखांक ३२८. १०८. वही, पृ० ५२०. १०९. वही, पृ० ५२१. ११०. लघुपट्टावली, पृ० १७३; अंचलगच्छदिग्दर्शन, पृष्ठ ५३८. १११. अचलगच्छदिग्दर्शन, पृ० ५३० और आगे; अंचलगच्छीय लेखसंग्रह, लेखांक ८७०, ८७२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003612
Book TitleAchalgaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2001
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy