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________________ ३८. २, लेखांक १२०. २४-२५. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ ८४. २६. हीरालाल रसिकलाल कापड़िया, जैनसंस्कृत साहित्यनो इतिहास, भाग २, खंड १, पृष्ठ ३७९. 27. H.D. Velankar, Jinaratnakosha, Poona 1944. P.299 जैनसंस्कृत साहित्यनो........., पृष्ठ ७९. २९. श्रीअगरचन्द नाहटा ने इसका रचना काल वि०सं० १४७१ के आस-पास बतलाया है। द्रष्टव्य “विक्रमादित्यविषयक जैन साहित्य', जैनसत्यप्रकाश, वर्ष ९, अंक ४-६, विक्रम विशेषांक, पृष्ठ १८०-१८८. ३०. द्रष्टव्य - संदर्भ क्रमांक १. ३१. जैनसाहित्यनो........, पृष्ठ ४७०, कंडिका ६८९. ३२-३३. वही, पृष्ठ ४५३, पादटिप्पणी क्रमांक ४४०. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ ८४-९३. पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ ६६. ३६. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ ८८. ३७. जैनसाहित्यनो........., पृष्ठ ४६५, कंडिका ६७७. वही, पृष्ठ ४६५, कंडिका ६७६. ३९. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ ९०. 40. Jinaratnakosha, P-175. ४१-४२. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ ९०. वही, पृष्ठ ९१-९३. ४४. द्रष्टव्य, संदर्भ क्रमांक ३५. __ मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना, पृष्ठ ९३-९५. जैनसाहित्यनो.........., पृष्ठ ४६४-४६५, कंडिका ६७४-६७५. मुनि कांतिसागर, शत्रुजयवैभव, कुशल पुष्प ४, जयपुर १९९० ई०, पृष्ठ १७३-१७४. मुनि विद्याविजय, संपा०-प्राचीनलेखसंग्रह. भावनगर १९२९ ई० लेखांक ११८. दौलतसिंह लोढ़ा, संपा०-श्रीप्रतिमालेखसंग्रह, लेखांक ३०३ बी, ३०४ बी, ३५०, ३६०. वही, लेखांक २८०-२८६, २८९, २९६, ३०८बी, ३१२ एवं अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसन्दोह, लेखांक १३०-१३७, १३९, १४३, १५४ १५८. तथा पूरनचंद नाहर, जैनलेखसंग्रह, भाग १, लेखांक २७८. ५०. श्रीप्रतिमा.......,लेखांक २७८, तथा अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैन........, लेखांक १६१. ५१-५२. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग २, प्रस्तावना पृष्ठ ९५. ५३-५५. वही, पृष्ठ ९५-९६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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