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________________ ३४ मिलती किन्तु अमरसुन्दर के शिष्य धीरसुन्दर ने वि०सं० १५०० के लगभग आवश्यक नियुक्ति पर अवचूरि ? की रचना की । सोमसुन्दरसूरि के एक अन्य शिष्य जिनकीर्तिसूरि हुए जिनके द्वारा रची गयी विभिन्न कृतियाँ २ मिलती हैं जो इस प्रकार हैं। -- नमस्कारस्तवन पर स्वोपज्ञवृत्ति (रचनाकाल-1 उत्तमकुमारचरित्र शीलगोपालकथा चम्पक श्रेष्ठिकथा १. २. ४. ५. ६. ७. ८. पंचजिनस्तवन धन्यकुमारचरित्र (रचनाकाल-वि०सं० १४९७) दानकल्पद्रुप श्राद्धगुणसंग्रह तपागच्छ के ५२वें पट्टधर रत्नशेखरसूरि भी सोमसुन्दरसूरि के ही शिष्य थे। सोमसुन्दरसूरि के अन्य शिष्यों में सोमदेवसूरि ४३, सुधानन्दनसूरि, जिनमंडनगणि, रत्नहंसगणि, साधुराजगणि, विवेकसमुद्र, प्रतिष्ठासोम आदि का नाम मिलता है। सोमसुन्दरसूरि के शिष्य परिवार को एक तालिका के रुप में निम्न प्रकार से रखा जा सकता है ... सोमसुन्दरसूरि · Jain Education International मुनिसुन्दरसूरि भावसुन्दर भुवनसुन्दरसूरि ल - वि० सं० १४९४) जिनसुन्दर जयचन्द्रसूरि अमरसुन्दर जिनकीर्ति सोमदेवसूरि सुधानंदन जिनमंडनगणि रत्नहंसगणि साधुजगणि विवेकसमुद्र प्रतिष्ठासोम जिनहर्षगणि साधुविजय धीरसुन्दर For Private & Personal Use Only शुभवर्धन www.jainelibrary.org
SR No.003611
Book TitleTapagaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2000
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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