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जयतिलकसरि
रत्नसागरसूरि 'प्रथम
रत्नसिंहसूरि
जिनतिलकसूरि
ज्ञानकलशसूरि (वि०सं० १४७८-८९) प्रतिमालेख
विजयतिलकसूरि (वि०सं० १४९६) "
विजयधर्मसूरि (वि० सं० १५०८-१२)"
विजयरत्नसूरि (वि०सं० १५१३-३७)''
. धर्मरत्नसूरि (वि० सं० १५४४-८७) प्रतिमालेख
धर्मधीर (वि०सं० १५७३ के पूर्व श्रीपालकथा के कर्ता)
विनयामंडन
विद्यामंडनसूरि
विवेकधीरगणि (वि० सं० १५८७/ ई० स० १५३१ में शत्रुजयोद्धारप्रबंध के कर्ता
जयवंतमुनि जयमंडन विवेकमंडन रत्नसागर सौभाग्यरत्नहरि सौभाग्यमंडन अपरनाम
(द्वितीय) (वि० सं० गुणसौभाग्य
१६३४ सूरि वि० सं०
प्रतिमालेख) १६१४ में
शृंगारमंजरी के कर्ताः कई अन्य रचनायें उपलब्ध
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