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________________ साध्वी प्रतिभा श्री प्राची एक परिचय जन्मस्थान जन्म पिता माता दीक्षा तिथि दीक्षा स्थान दीक्षागरु बैंगलोर (कर्नाटक) - ज्येष्ठ कृ.2 वि.सं. 2024,25 मई, 1967 लब्धप्रतिष्ठित सुश्रावक श्री बंसीलालजीजैन (धोका) - तपस्विनी सुश्राविका श्रीमती सुशीलादेवी जैन - वैशाख शु. 3, सं. 2042, 23 अप्रैल, 1985 अहमदनगर (महाराष्ट्र) महामहीम आचार्य सम्राटपू. श्री आनंदऋषिजी महाराज, दादा गुरुणी-पंजाब उपप्रवर्तिनी महा. श्री केसरदेवीजीम., अध्यात्मयोगीनी महा. श्री कौशल्यादेवीजी म. - जैन इतिहास चंद्रिका पू. महासती डॉ. विजयश्रीजी म.सा. 'आर्या' / एम.ए. (अंग्रेजी माध्यम) जैन सिद्धान्ताचार्य 'सर्वोच्च श्रेणी' साहित्यरत्न 'प्रयाग', आगम ज्ञान-उत्तराध्ययन, दशवैकालिक, नन्दीसूत्र, सुखविपाक, अनुत्तरौपपातिक, बृहत्कल्प एवं अनेक स्तोत्र, स्तोककंठस्थ, आगम, न्याय, दर्शन, व्याकरण, छंदसाहित्य - हिंदी, गुजराती, अंग्रेजी, कन्नड, मराठी, मारवाडी, पंजाबी, संस्कृत, प्राकृत। पंजाब, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, हिमाचल प्रदेश। सेवाभावी, विनम्र, गम्भीर, प्रज्ञाशील, सुमधुर गायिका, प्रवचन विशारदा, कवियित्री, नवोदिता लेखिका। - साध्वी प्रशंसा श्रीजी म.सा. "मोक्षा" गुरुणी अध्ययन भाषाज्ञान विचरणक्षेत्र I / विशिष्टताएं शिष्या . इतिहासमहासागररुपीअतीत को देखने कीदुरबिन है। पूर्वजपुरुष इसप्रकारों उनका जीवन,जीया गया, कुछ कर गया, जो समयरुपी पथ की पगडंडीपर अपने निशान छोडकर आगे बढा हैं। जो घटनाएंबीत चुकी किंतु उसकी कार्यान्विति आजभीमुखरित है। इतिहास हमारी संस्कृति की धरोहर है, वर्तमान की दिशा निर्धारित करता है। उस धरोहर के पाथेय से आज नव निर्मिती बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत की जा रही है। - इतिहास की आंखा से देखते हुए यह बोध होता है कि हमने बहुत कुछ खोया है किंतु अब जो कुछ सुरक्षित है उसी से अपने जीवन का सृजन कर जीवन का नव-निर्माण करें। . इतिहास केवल घटनाक्रम नही है, जीवन की अनुभूति से जीया गया शाश्वत सत्य तथ्य है। इसके जीवनमूल्य अनमोल है। दीक्षा-रजत जयंती के पावनतम प्रसंग पर प्रस्तुत है यह उपहार। सृष्टिचक्र में सहयोग देने वाली पवित्र नारियों की जीवन गाथा। मर्यादा मे रहने वाली उत्थान की सीढ़ियो पर बढ़नेवाली,जीवन की मंजिल को ढूंढती हुई श्राविकाओं का जीवनवृत्त। Desian & Print at Akrati Offset Uiain (MP) Ph. 0734-2561720.96300-77780.98930-777831 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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