________________
जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
७.२४ श्रीमती सुमन जैन :
आप इंदौर के दिगंबर जैन महिला संघ की अध्यक्षा, अ.भा. दि. जैन महिला संघ की महामंत्री हैं तथा आपने इंदौर में ४३ महिला इकाइयों को एक सूत्र में बांधकर रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। पत्रिका के माध्यम से किये गये प्रचार प्रसार हेतु तीर्थंकर ऋषभदेव दिगंबर जैन विद्वत्त् संघ द्वारा वर्ष २००० में आपको सौ० चन्दा रानी स्मति विद्वत्त महासंघ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आप एम. एस. जे कॉलोनाइजिंग एण्ड लीडिंग कंपनी लिमिटेड, तथा शुभलक्षमी महिला को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की निदेशिका हैं। आपके कई सुविकसित फार्म हाऊस हैं। जॉइंस ग्रुप ऑफ इंदौर की पूर्व अध्यक्षा, रोटरी क्लब बालविका की वर्ष ६७-६८ की उपाध्यक्षा रही, तथा कॉर्पोरेशन बास्केट बॉल ट्रस्ट की ट्रस्टी भी रह चुकी हैं। आपने इंदौर में वर्ष २००१ में अहिंसा मेले का सफल आयोजन भी किया है। इस प्रकार श्रीमती सुमन जैन का नाम सामाजिक कार्यों के विकास में सफल व्यक्तित्व के रूप में उभर कर आया है।
७. २५ हीरामणि गंगवाल :
639
आप इंदौर के जय हो मंडल की 'सचिव' व सीताराम पार्क महिला मंडल की कोषाध्यक्ष रह चुकी हैं। इंदौर में वर्षावास हेतु पधारे मुनिराज व आर्यिका संघ आदि की आहार चर्या हेतु आप चौका लगाती रहती हैं। आपने विशेष रूप से महामंत्र नवकार को ५१,००० बार लिखकर स्वर्णपदक एवं सवा लाख बार लिखकर हीरक पदक प्राप्त किया है। इस प्रकार मुनि संघ के आहार चर्या व जप तप में आपका उल्लेखनीय योगदान रहा है। १६
७.२६ मधु जैन :
आपका जन्म १६४६ में होशियारपुर में हुआ था। आप श्रीमान् मदनलाल जैन एवं श्रीमती कश्मीरी देवी जैन की सुपुत्री हैं। श्रीमान् बंसीलाल जी भाबू एवं श्रीमती केसरा देई जी की पौत्री हैं। आपने संस्कत में एम. ए. तथा बी. एड. की शिक्षा प्राप्त की । विद्यालय में शिक्षण कार्य करते हुए आपने बच्चों को शाकाहारी भोजन, समाज सेवा, दान एवं परोपकार की शिक्षा दी। समाज के मध्यमवर्गीय धनाभाव से पीड़ित परिवारों के स्तर को ऊँचा उठाने में सहयोग दिया । पशु शालाएँ खुलवाई। आपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया। उम्र के चौदहवें वर्ष के पश्चात् १० वर्षों तक आपने किसी भी कच्ची सब्जी व फल का सेवन नहीं किया। इस प्रकार त्याग एवं सेवा के क्षेत्र में मधु जैन का अपूर्व योगदान है । २०
७.२७ रूबी जैन :
आपका जन्म सन् १६६५ में हुआ था। आपके माता-पिता होशियारपुर निवासी श्रीमती महिमावंती जैन एवं श्रीमान् बंसीलाल जैन हैं एवं दादीजी का नाम श्रीमती केसरादेवी जैन है। आप पी.एच.डी. हैं। आप डे.ए.वी. कॉलेज में लेक्चरार हैं, धार्मिक शास्त्रों के अध्ययन में विशेष रूची है तथा सेवाभावी हैं । २१
७.२८ श्रीमती रूक्मिणी देवी जैन :
आपकी उम्र ८२ वर्ष की है। आप विश्वविख्यात नत्य संस्था 'कलाक्षेत्र की संस्थापिका एवं अध्यक्षा थी। आपने सन् १९३६ में विशेष प्रकार की नत्य शैली को 'भरत नाट्यम्' नाम से प्रसिद्ध किया था। सन् १६५६ में 'पद्म भूषण' अवार्ड तथा सन् १९८४ में कालिदास - सम्मान से आप सम्मानित की गई थी। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ संस्था की आप सक्रिय सदस्या थी। आपका मन्तव्य था कि क्रूर से क्रूर प्राणियों में भी वात्सल्य एवं प्रेमभाव का स्त्रोत बहता रहता है। अतः उनकी रक्षा करना मानवीय धर्म है । वह मूक प्राणियों की प्राण रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती थी। जीव रक्षा के प्रचार प्रसार के लिए देश-विदेश में आपने काफी प्रयास किया था। आपके द्वारा किये गये सक्रिय जीव रक्षा के कार्य से विदेशों में शाकाहार का भी खूब प्रचार हुआ था। जैन कांफ्रेंस के भूतपूर्व प्रधान स्व. श्री आनंदराज जी सुराणा इन्हें 'दयादेवी बहन' के प्रिय संबोधन से पुकारते थे। तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मोरारजी देसाई उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना चाहते थे, किंतु आपका अटल संकल्प थ गणियों की सुरक्षा | राष्ट्रपति जी ने आपको 'प्राणिमित्र' के विशिष्ट पद
किया
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org