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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
संथारा सहित समाधिमरण किया था। महाराष्ट्र अहमदनगर की अनेक बहनें है जो इस कड़ी में लम्बा संथारा धारण कर चुकी हैं। आधुनिक युग में समग्र जैन समाज की सुश्राविकाओं के संस्कारों का ही सुप्रभाव है कि आज जैन संप्रदाय में १३६४७ साधु-साध्वी संयम मार्ग पर अग्रसर हैं तथा शासन की महती प्रभावना में रत हैं।
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७.७ श्रीमती सुलोचना देवी जैन :
आप इंदौर निवासी श्रीमान पुरवराज जी लूंकड़ की धर्मपत्नी हैं । १८ अक्टूबर १९२५ आपकी जन्म तिथि है । स्व. श्री मोतीलाल जी जैन एवं श्रीमती सज्जनदेवी जैन की आप सुपुत्री हैं। आपके दो पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं। नाम क्रमशः इस प्रकार हैं, श्री देवकुमार जी जैन, श्री राजेन्द्र कुमार जी जैन, श्रीमती देवबाला जैन, श्रीमती बसन्तबाला जैन, श्रीमती स्नेहलता जैन। आपका सेवा कार्यों में बहुत बड़ा योगदान है। श्रीमती सुलोचनादेवी जैन के नाम से स्थापित चैरिटेबल ट्रस्ट में ३१ लाख की राशि आपके द्वारा सेवा कार्यों के लिए समर्पित की गई है। जैन दिवाकर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सैंटर के लिए दो लाख सात हजार एवं मनमाड़ में श्री आनन्द धर्मार्थ दवाखाना के लिए पच्चीस हजार तथा पार्श्वनाथ विद्याश्रम बनारस में आपने ५१ हजार का अनुदान दिया है ।' ७. ८ श्रीमती भंवरदेवी जी :
आप जयपुर निवासी श्रीमान् मन्नालाल जी सुराना की धर्मपत्नी थी। राजघराने के खजांची श्रीमान् कुंदनमल जी छाजेड़ की आप सुपुत्री थी। आपका स्वभाव सरल सहज एवं शांत था । सामाजिक व्यवस्था करने में आप निपुण थी। आपके पुत्र एवं एक पुत्री है। भारतीय संस्कति के प्रति आपका विशेष लगाव है। आपको तत्वज्ञान की गहरी रूचि है ग्रीन हाऊस जयपुर में आपका मकान है। प्रतिवर्ष साधु-साध्वी वहां चातुर्मास करते है । शय्यातर का पूरा लाभ आप ले रही हैं। आप जयपुर महिला मंडल की प्रथम अध्यक्षा तथा अ.भा. तेरापंथ महिला मंडल की कार्यकारिणी की सदस्या रह चुकी है। संस्था के प्रत्येक कार्य में आप आगे रहती हैं।
७.६ श्रीमती दिव्या जैन :
आप मुंबई निवासी है। दिव्या, 'इंडियन हेल्थ ऑर्गनाईजेशन' मुंबई हज़ारों बदनाम, गुमनाम जिंदगियों के लिए संबल है । यह संस्था बदनाम बस्तियों की वेश्याओं के उत्थान के लिए कार्य करती है। फिलहाल लालबत्ती क्षेत्र में 'भारतीय स्वास्थ्य संघठन के माध्यम से काम करते हुए दिव्या अपनी समाज सेवा से संतुष्ट है दिव्या जी व्यक्तिगत रूप से भी इनके दुःख और परेशानियों में इनकी सहायता करती हैं।
७.१० श्रीमती सुशीला जी :
बाल ब्रह्मचारिणी श्रीमती सुशीला जैन नाभा (पंजाब) निवासी श्रीमती यशोदा जैन एवं श्रीमान् मुन्नालाल जैन की सुपुत्री थी । आप सन् १९५३ तक मलेरकोटला में प्राध्यापिका रही थी । इन्हें पंजाब सरकार की ओर से 'बेस्ट टीचर' का खिताब प्राप्त हुआ था । आपका संपूर्ण जीवन समाज तथा शिक्षा के लिए समर्पित था। आप अनुशासनप्रिय तथा जैन सिद्धांतों के प्रति आस्थावान् थी । आपने अपनी संपत्ति का कुछ भाग जैन सभा को दान स्वरूप समर्पित किया था ।
७. ११ लक्ष्मीदेवी जी :
आप श्री स्वरूपचंद जैन की धर्मपत्नी हैं। आप दान, शील, तप और अहिंसामय धर्म के प्रति श्रद्धाशील हैं। आपने आचार्य विमल मुनि जी द्वारा स्थापित आदीश्वर धाम (कुप्पकलां) में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। जैन साहित्य के प्रकाशन में एवं साधु साध्वियों की सेवा में आप अग्रणी हैं।
७. १२ चंद्रमोहिनी जैन :
आप मलेरकोटला के पूर्व प्रधान लाला केसरीदास जैन की धर्मपत्नी हैं। आपने आदीश्वर धाम कुप्पकलां के निर्माण हेतु विपुल धनराशी दान में दी है। तीर्थंकर साधना केंद्र के निर्माण में भी आपका प्रशंसनीय सहयोग रहा है।
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