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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र० ।
। श्राविका नाम
वंश/ गोत्र
पृ.
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
गच्छ/आचार्य अंचल श्री सूरि
3859
1545
| उनकाई, रमाई, ललनादे, इसर
श्रीमाली वंष
| प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ | आदि भ. श्री आदिनाथ जे.जै.ले.सं. जी भ. श्री नमिनाथ | जे.जै.ले.सं.
3860
| 1549
...............
उपकेष
मणिचन्द्र सूरि
जी
| 1557 | रूपी, देमी
चणकाल्या गोत्र
मलधार गुणवानसूरि
| भ. श्री धर्मनाथ
जे.जै.ले.सं.
| 31
3862 | 1562 | जिसमादे, पूनदे
|
उकेष
..................
जे.जै.ले.सं.
31
प्रा. ज्ञा.
तपा हेमविमल सूरि
| 31
1566 | रंगी, रत्नादे,
दाकिमदे | 1571
काऊ, सुहडादे,
माणिकदे हासू | 1509 | सशण
भ. श्री आदिनाथ | जे.जै.ले.सं. जी भ. श्री शान्तिनाथ जे.जै.ले.सं.
3864
उप. ज्ञा.
देवरत्न सूरि
जी
3865
उसवाल ज्ञा. सुराणा | पद्मानंद सूरि
भ. श्री कुंथुनाथ | जे.जै.ले.सं.
गोत्र
जी
3866 | 1521 | धर्माद, अली
श्री श्री माल ज्ञा.
सुविहित सूरि
भ. श्री शान्तिनाथ | जे.जै.ले.सं.
| 32
जी
3867 | 1506 | हुती माणिक
सुचन्ती गोत्र
| 34
3868
| 1513
ओसवाल, भावलदे
सावंदेव सूरि
भ. श्री वासपूज्य | जे.जै.ले.सं.
जी तपा श्री रत्नषेखर सूरि | भ. श्री सुमतिनाथ | जे.जै.ले.सं.
जी तपा श्री मुनिसुन्दर भ. श्री पार्श्वनाथ | जे.जै.ले.सं.
34
3869
| 1517 | साधू, राजू
प्रा. ज्ञा.
जी
3870 | 1549 | वरम्हा, चांदगदे, नूपा. | त्रिभुवन कीर्ति
..................
जे.जै.ले.सं.
| 34
नेना
3871
1559 | माणिक, सारू
की श्रीमाल ज्ञा। बुद्धिसागर शूरिश्री धर्मनाथ जर्जलेलं.
श्री श्रीमाल ज्ञा
साल
भ. श्री धर्मनाथ
| बुद्धिसागर सूरि
जे.जै.ले.सं.
जी
38721559 | गोपाही
3873 | 1563 | रानूरानी
श्रीमाल ज्ञा. तातहड़ | उपकेष देवगुप्ति सूरि | भ. श्री कुंथुनाथ | जे.जै.ले.सं. गोत्र
जी उसवाल पूगलिया | श्री शान्ति सूरि भ. श्री मुनिसुव्रत जे.जै.ले.सं. गोत्र सुराणा गोत्र
धर्मघोष नन्दिवर्द्धन सूरि | भ. श्री शान्तिनाथ | जे.जै.ले.सं.
3874 |1569 |धणपालही
जी
3875
1584 हर्शा, हीरा
ओसवंष गोत्र
3876
1597 | भाना, भरमा
प्रा. ज्ञा.
जिन साधु सूरि
3877
||
1703
पंखवालेचा गोत्र
तपा विजयसिंह सूरि
भ. श्री शान्तिनाथ | जे.जै.ले.सं. जी भ. श्री आदिनाथ | जे.जै.ले.सं. जी भ. श्री मुनिसुव्रत जे.जै.ले.सं.
जी | भ. श्री संभवनाथ जे.जै.ले.सं.
जी | भ. श्री सुविधिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स.
3878
प्रा. ज्ञा,
पूर्णिमा पुण्यरत्न सूरि
1532 | काई, वाउं, देवलदे लाकी
अजी, बाई, सहिज्यादि
38791524
लशमादे, धारू
ऊकेष ज्ञा.
तपा. लक्ष्मीसागरसूरि
38
जी
हरशमदे, सीतादे
ओसवाल
खरतर जिनचन्द्रसूरि
भ. श्री अनंतनाथ
पा.जै.धा.प्र.ले.स.
39
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