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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास संवत् | श्राविका नाम वंश/गोत्र । अवदान संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य जयानंदसूरि, देवसुंदर 1044 1438 | भावलदे प्राग्वाट् दोसी आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 12 कल्हा | सूरि 1045 | 1439 | तिहुणदे खमादे लाषणदे ऊकेष ज्ञातीय | श्री रामचंद्र सूरि पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 13 श्री शांतिनाथ चतुर्विषतिपट्ट वासुपूज्य 1046 | 1440 | पुनादे पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 13 श्री माल ज्ञातीय श्री माल ज्ञा. पिप्पलाचार्य श्री जयतिलकसूरि हरिशेनसूरि 1047 | 1440 | पूंजी श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 1048 | 1445 | नामलदे श्री पार्श्वनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 114 1049 | 1446 | षेखसुता श्री माल अभयसूरि गोत्रीय श्री माल रत्नषेखरसूरि ज्ञातीय प्राग्वाट्ज्ञातीय | श्री रत्नप्रभसूरि वासुपूज्य पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 14 1050 | 1447 | मीणलदेवी कुंथुनाथ पंचतीर्थी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | 1051 | 1447 गहिणी श्री सूरि वासुपूज्य पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 14 1052 11447 | सहजलदे आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 14 ब्रह्मणगच्छ श्री मुनिचंद्रसूरि श्री भावदेव सूरि 10531450 | प्रेमलदे पा.जै.धा.प्र.ले.सं. श्री श्री माल ज्ञातीय भावडगच्छ श्री माल ज्ञातीय श्री माल ज्ञातीय श्री माल श्री शांतिनाथ चतुर्विंशति पट्ट शांतिनाथ श्री पुण्यदेवसूरि पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 1054 | 1450 | कष्मीरदे, संसारदे, सिरियादे 1055 1450 विक्रमदे, सरसइ | श्री सूरि श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. ज्ञातीय 1056 1451 | संसारदे, लाडी प्राग्वाट्गोत्रीय | जयतिलकसूरि श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 1057 | 1452 | कामलदे श्री सुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 1058 | 1452 | वीलहणदेवी श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 1059 11452 | नागलदे प्राग्वाट्गोत्रीय | | नागेन्द्रगच्छ श्री उदयदेवसूरि श्री श्रीमाल ब्रह्माणगच्छ श्री ज्ञातीय विमलसूरि श्री श्रीमाल महेंद्रसूरि ज्ञातीय श्री अंचलगच्छ श्री श्रीमालज्ञातीय | मेरूतुंगसूरि प्राग्वाट्ज्ञातीय | श्री पूर्णिमापक्ष सूरिजी महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 1060 1453/श्रेणी महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 10611453 | फबकु, जीवणी आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 1062 | 1454 | कीलहणदे प्राग्वाट्ज्ञातीय श्री गुणाकरसूरि आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 1063 | 1454 | भा. मालूणदे प्राग्वाट्ज्ञातीय | देवसुंदरसूरि वासुपूज्य पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 1064 1456| सीसादे श्री श्री माल श्री पद्मप्रभसूरि अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 1065 | 1456 | श्री सिंगारदे प्राग्वाट्ज्ञातीय | कोरंटगच्छ श्री नन्नसूरि महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 17 1066 | 1458 | भा. बउलादे श्री सूरि श्री सुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. श्रीमालज्ञातीय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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