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________________ 334 क्र 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 संवत् श्राविका नाम 1487 खेतलदे 1488 पाल्हणदे, मेचु, लखमादे 1488 वी 1488 रूपी 1488 | कष्मीरदे, जासूणा 1488 वीझलदे, भा. सारू 1489 पद्मलदे, नमलदे 1489 अहिवदे 1489 कामलदे 1489 पूंजी, रूडी, वारू, सहित 1489 हषू भीमसिरि 1489| हरखू लाडी 1489 माणि 1490 पांचू 1490 बाईषरी 1490 सिरिआदे 1490 वल्हादे 1490 धनाई 1490 हीरादे 1491 कपूरदे 1491 लूणादे, करमी 1491 वुलदे, मटकू 1491 गांगी, हरखू, मरगादे 1491 कामलदे, माकू Jain Education International वंश / गोत्र श्री श्री माल ज्ञातीय प्राग्वाट ज्ञातीय सानगोत्र प्राग्वाट ज्ञातीय ऊकेष प्रागवाट् वंष धुल्हागोत्री श्री श्रीमाल ज्ञातीय श्री श्री माल ज्ञातीय श्री श्री माल ज्ञातीय उकेष ज्ञातीय श्री माल ज्ञातीय उपकेष ज्ञातीय श्री माल ज्ञातीय श्री माल ज्ञातीय श्री माल ज्ञातीय उस वंष ऊकेष वंष, बालाही गोत्र श्री श्री माल ज्ञातीय प्रागवाट ज्ञातीय श्री माल गोत्री प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य श्री सूरि श्री सिंह सूरि उपकेषगच्छ श्री सिद्धसूरि प्राग्वाट ज्ञातीय उकेष गच्छ श्री प्रागवाट वंष श्री माल वंष श्री पूर्णिमापक्ष के श्री साधुरत्नसूर तपागच्छ श्री सोमसुंदर सूर तपागच्छ श्री सोमसुंदर सू तपापक्ष भट्टा श्री रत्नसिंह सूरि तपा गच्छ के श्री सोमसुंदर सूरि उपकेष गच्छ श्री भंडारी देव खरतरगच्छ श्री जिनभद्रसूरि देवगुप्तसूर पूर्णिमा पक्ष के श्री मुनि तिलकसूरि आगमगच्छ श्री हेमरत्नसूर अंचल गच्छ श्री जयकीर्ति खरतर गच्छ श्री जिनसागर सूरि खरतर गच्छ के श्री जिनसागर सूरि पिप्पलगच्छ के श्री श्री उदयदेव सूर सोमसुंदर सूरि पिप्पलगच्छ श्री सोमचंद्रसूरि श्री तपागच्छ श्री सोमसुंदर पूर्णिमापक्ष श्री धनप्रभसूरि पार्श्वनाथ चैत्र गच्छ श्री | जिनदेवसूर श्री सूरि तपागच्छ श्री सोमसुंदर सूरि For Private & अवदान rose Only सुमतिनाथ पार्श्वनाथ अंबिका देवी शांतिनाथ मुनिसुव्रत श्री संभवनाथ श्री पद्मप्रभु अजितनाथ सुमतिनाथ पंचतीर्थी श्री सुविधिनाथ अनंतनाथ आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ चंद्रप्रभ शांतिनाथ संदर्भ ग्रंथ शीतलनाथ अजितनाथ आदिनाथ मुनिसुव्रत जीवंतस्वामी श्री आदिनाथ सुमतिनाथ धर्मनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. श्री नेमिनाथ मुख्य चतुर्विंशति पट्ट धर्मनाथादि चतुर्विशति पा. जै. धा.प्र.ले.सं. पट्ट धर्मनाथ पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पृ. 31 31 31 31 31 31 32 32 1241 32 32 33 33 33 33 e 33 33 33 34 34 34 34 34 34 34
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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