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________________ आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ का क्र संवत् प्राविका नाम | वंश/गोत्र अवदान संदर्भ ग्रंथ 648 | 1453 | फबकू जीविणि प्रागवाट् ज्ञा. प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य श्री पूर्णिमापक्ष के सूरि जी श्री गुणाकर सूरि आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 649 1454 | कीहलणदे प्रागवाट् ज्ञा. आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 650 | 1454 | मालूणदे प्रागवाट् ज्ञा. देवसुंदरसूरि वासुपूज्य पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 6511465 / सीसादे श्री श्री माल श्री पद्मप्रभ सूरि अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 1456 | सिंगारदे प्रागवाट् ज्ञा. कोरंटगच्छ श्री नन्नसूरि | महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 653 1458 | बडलादे श्री माल ज्ञा. श्री सूरि सुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 117 654 | 1459 | सिंहजलदे आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 17 | आगमिक गच्छ, श्री मुनिसिंह सूरि श्री उदयदेव सूरि 655 1459 | कस्मीरदे श्री शांतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तसं 17 श्री श्री माल ज्ञा. श्री माल ज्ञातीय भावडार गच्छीय, श्री माल ज्ञातीय श्री माल ज्ञा. 656 1459 | लखमादे श्री विजयसिंह सूरि श्री संभवनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 657 1464 गामी सूरि पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 18 श्री शांतिनाथ पंचतीर्थी श्री आदिनाथ 658 1465 नाउ प्रागवाट् ज्ञा. | श्री शीलचंद्र सूरि पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 659 | 1465 | उत्तमदे, लाछु । प्रागवाट् ज्ञा. | पल्लीगच्छ श्री सूरि श्री शीतलनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 660 | 1465 | मेघा भंडारी गोत्र आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 18 661 1465 | मातृ, समूलदे श्री माली ज्ञा. शांतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 18 धर्मघोष गच्छ के श्री सूरि श्री नागर गच्छ के श्री गुणसागर सूरि रतनाकर गच्छ के श्री रत्नसागर सूरि श्री मलयचंद्र सूरि 562 1465 | कपूरदे प्रागवाट ज्ञा. आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 363 1465 | सहजलदे श्री श्री माल आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 19 ज्ञा. 564|1466 | बाइ, कपूरदे, बाछा, आका | प्रागवाट ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | रत्नाकर गच्छ के आदिनाथ रत्नसागर सूरि | कोरंटगच्छ श्री नन्नसूरि | श्री संभवनाथ 865 1466 | भावलदे, पुत्रवधू, ष्याणी उपकेष ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 19 636 1466 | भावलदे, बाई, राजू उपकेष ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 637 | 1466 | मेघा हुंबड ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 19 कोरंटगच्छ के श्री श्री वासुपूज्य नन्नसूरि काष्ठा संघ श्री नरेन्द्र श्री वासुपूज्य कीर्ति श्री धर्मघोष गच्छ के श्री शीतलनाथ वलयचंद्रसूरि तपा गच्छ श्री देवसुंदर | श्री अभिनंदन 638 | 1466 | मेंघू भावनादेवी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 19 उसिवल ज्ञा. मंडोरा गोत्र प्रागवाट ज्ञा. 669 | 1466 | भा. मीणलदे | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. ___670 | 1468 | भा. आलहू प्रागवाट् ज्ञा. | श्री शांतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 120 श्री मेरूतुंगसूरि के उपदेष से | पिप्पल धर्मप्रभसूरि 3711463 | मातृरदेवी, मातृ त्रखदेवी श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 20 श्री श्री माल ज्ञा.
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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