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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास संवत् श्राविका नाम अवदान संदर्भ ग्रंथ 625 | 1426 | सिंगया देवी वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य श्री माल श्री सूरि ज्ञातीय प्रागवाट् ज्ञातीय | श्री उदयसूरि श्री महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 11 626 1424 | नयणादे श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 11 627 1433 | जिहुणदे श्री सागरचंद्रसूरि श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. श्री वृढायर गोत्र प्रागवाट् ज्ञा. 628143: | देलहणदे श्री विजयसिंह सूरि पार्श्वनाथ पंचतीर्थी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 11 629 | 143:: | वीजलदे प्रागवाट् ज्ञा. श्री पार्षचंद्र सूरि श्री धर्मनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 11 6301436 | भावलदे प्राग्वाट दोसी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 631 | 1433 | तिहुणदे, बिखमादे, लाषदे | उकेष ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 13 632 | 1440 | पूनादे, श्रेयार्थ श्री माल ज्ञा. जयानंद सूरि, देवसुंदर | आदिनाथ सूरि श्री रामचंद्र सूरि श्री शांतिनाथ चतुर्विशाति पट्ट पिप्पलाचार्य श्री वासुपूज्य जयतिलक सूरि श्री उदयानंद सूरि श्री वासपूज्य पंचतीर्थी हरिषेनसूरि श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 13 633 1440 | कुंतादे श्री माल ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 13 | 1442 | पूंजी, श्रेयार्ध श्री माल | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 635 1445 / नामलदे | अभय सूरि श्री पार्श्वनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. श्री माल गोत्रीय श्री माल ज्ञा. 636 1446षेखसुता रत्नषेखर सूरि वासुपूज्य पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 14 637 1447 | मीणलदेवी प्रागवाट ज्ञा श्री रत्नप्रभुसूरि कुंथुनाथ पंचतीर्थी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 6381447 गहिणि श्री सूरि वासुपूज्य पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 639 1447 | सहजलदे श्री माल ज्ञा. | आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. ब्रह्माण गच्छ के श्री मुनिचंद्र सूरि श्री भाव देव सूरि 640 | 1450 प्रमलदे भावडगच्छ | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 श्रीशांतिनाथ, श्री चतुर्विंशति पट्ट श्री शांतिनाथ श्री माल ज्ञा. श्री पुण्यदेव सूरि पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 641 1450 करमीनदे, संसारदे, सिरियादे 642 | 1450 विकमदे, भा. सरसइ | श्री माल ज्ञा. श्री सूरि श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 643 1451 | संसारदे, लाडी अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 1452 | कामलदे श्री सुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 15 प्रागवाट जयतिलक सूरि गोत्रीय प्रागवाट गोत्रीय | नागेन्द्र गच्छ श्री उदयदेवसूरि श्री श्री माल | ब्रह्माणगच्छ के श्री ज्ञा. विमलसूरि श्री श्री माल । महेन्द्र सूरि 645 | 1452 | वील्हणदेवी श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 646 1452 | नागलदे पुत्र महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 647 1453 | श्रेणी | अंचल गच्छ, मेरूतुंगसूरि | महावीर पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 16 श्री श्री माल ज्ञा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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