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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 325 क्र संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक | अवदान गच्छ / आचार्य धिनवर्द्धन सूरि 5321469 | मेलादे बिम्ब 5331469 | माल्हदे श्री माल वंष चंद्रसूरि आदिनाथ प्रा. ले. सं. भा. 1 534 1469 | सोहम हूंबड ज्ञा. श्री सूरि वासुपूज्य प्रा. ले. सं. भा. 1 535 | 1471| रत्नादे, वाहणेद भावषेखर सूरि शांतिनाथ प्रा. ले. सं. भा. 1 536 | 1472 | देवलदे, मुंजी उसवाल ज्ञा. श्री षालीभद्र सूरि शांतिनाथ प्रा. ले. सं. भा. 1 537 | 1476 | भरमादे, राभलदे श्री श्री माल श्री सोमचंद्रसूरि शांतिनाथ प्रा. ले. सं. भा. 1 538 1478 | हांसू, पूनी प्रागवाट् ज्ञा. श्री सोमसुंदर सूरि शांतिनाथ प्रा. ले. सं. भा. 1 539 1481 | पिंगलदे प्रा. ज्ञा. | श्री जै.प्र.ले.सं. 144 बृहतपा अ. श्री रत्नसिंह | श्री देवकुलिका सूरि श्री अंचल श्री जयकीर्ती 540 1487 | संयो प्रा. ज्ञ. श्री जै.प्र.ले.सं. 144 541 | 1483 | तिलकू उस. ज्ञा. तपा श्री भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. 145 | तिलकू श्री ओस. ज्ञा. तपा. श्री भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. 5431483 | तिलकू उस. ज्ञा. श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. 146 544 | 1483 | देमाइ श्री ओस ज्ञा. श्री जै.प्र.ले.सं. 146 श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि कटारिया श्री राउलाभुवन श्री देव 545 1483 | छीतू 147 546 1483 | वामलदे 147 547 1483 | पूनाई, हीरू, कस्तूरी | 148 5481483| वीरू । 148 549 | 1483 | पूनासीरी, वाबी 149 श्री उस. ज्ञा. श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. बरहडिया गोत्र नाहर श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस ज्ञा. सांवल श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस ज्ञा. सांवल श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस ज्ञा. छामुकी श्री कृष्णर्षिगच्छत् पा श्री | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस. वंष | जयसिंहसूरि कु. चतुष्किका षिखर सोनीहर/ | तपा श्री भुवनसुंदर सूरि श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. उसवाल ज्ञा. नाहर गोत्र धर्मघोष श्री विजयचंद्र श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. सूरि श्री कृ. तपा. श्री श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उसवाल | जयसिंहसूरि ज्ञा. उपकेष ज्ञा. श्री कृ. तपा श्री जयसिंह श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. 550 | 1483 | तिलकू 150 551 | 1483 | मानी बाई 150 552 | 1483 | पोमाई गांधी 151 553 1424 | कर्मादे, खीमादे, खीमादे 151 सूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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