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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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क्र
संवत् श्राविका नाम
वंश/गोत्र
संदर्भ ग्रंथ
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | अवदान
गच्छ / आचार्य धिनवर्द्धन सूरि
5321469 | मेलादे
बिम्ब
5331469 | माल्हदे
श्री माल वंष
चंद्रसूरि
आदिनाथ
प्रा. ले. सं. भा. 1
534
1469 | सोहम
हूंबड ज्ञा.
श्री सूरि
वासुपूज्य
प्रा. ले. सं. भा. 1
535 | 1471| रत्नादे, वाहणेद
भावषेखर सूरि
शांतिनाथ
प्रा. ले. सं. भा. 1
536
| 1472 | देवलदे, मुंजी
उसवाल ज्ञा.
श्री षालीभद्र सूरि
शांतिनाथ
प्रा. ले. सं. भा. 1
537 | 1476 | भरमादे, राभलदे
श्री श्री माल
श्री सोमचंद्रसूरि
शांतिनाथ
प्रा. ले. सं. भा. 1
538
1478 | हांसू, पूनी
प्रागवाट् ज्ञा.
श्री सोमसुंदर सूरि
शांतिनाथ
प्रा. ले. सं. भा. 1
539
1481 | पिंगलदे
प्रा. ज्ञा.
| श्री जै.प्र.ले.सं.
144
बृहतपा अ. श्री रत्नसिंह | श्री देवकुलिका सूरि श्री अंचल श्री जयकीर्ती
540
1487 | संयो
प्रा. ज्ञ.
श्री जै.प्र.ले.सं.
144
541 | 1483 | तिलकू
उस. ज्ञा.
तपा श्री भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं.
145
| तिलकू
श्री ओस. ज्ञा.
तपा. श्री भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं.
5431483 | तिलकू
उस. ज्ञा.
श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं.
146
544 | 1483 | देमाइ
श्री ओस ज्ञा.
श्री जै.प्र.ले.सं.
146
श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि कटारिया श्री
राउलाभुवन श्री देव
545
1483 | छीतू
147
546
1483 | वामलदे
147
547
1483 | पूनाई, हीरू, कस्तूरी
| 148
5481483| वीरू
। 148
549 | 1483 | पूनासीरी, वाबी
149
श्री उस. ज्ञा. श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. बरहडिया गोत्र नाहर
श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस ज्ञा. सांवल श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस ज्ञा. सांवल श्री तपा. भुवनसुंदर सूरि | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस ज्ञा. छामुकी श्री कृष्णर्षिगच्छत् पा श्री | श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उस. वंष | जयसिंहसूरि
कु. चतुष्किका षिखर सोनीहर/ | तपा श्री भुवनसुंदर सूरि श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. उसवाल ज्ञा. नाहर गोत्र धर्मघोष श्री विजयचंद्र श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं.
सूरि
श्री कृ. तपा. श्री श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं. गोत्र/उसवाल | जयसिंहसूरि ज्ञा. उपकेष ज्ञा. श्री कृ. तपा श्री जयसिंह श्री जीराउलाभुवनदेव | श्री जै.प्र.ले.सं.
550 | 1483 | तिलकू
150
551 | 1483 | मानी बाई
150
552 | 1483 | पोमाई
गांधी
151
553
1424 | कर्मादे, खीमादे, खीमादे
151
सूरि
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