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________________ 310 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र अवदान संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य श्री उदय प्रभ सूरी | 1493 | पूजी, पूनी उपकेष ज्ञा श्री अजितनाथ अ.प.जै.धा.प्र.म. 72 190 | 1494 | भावलदे प्रा. ज्ञातीय श्री वीरचंद्र सूरी श्री चन्द्र प्रभ स्वामी अ.प.जै.धा.प्र.म. 191 | 1494 | रामीदे, कमलादे छाजहड़ गोत्र श्री पल्लीरूद्र श्री आदिनाथ अ.प.जै.धा.प्र.म. 192 | 1494 | घांघलदे अ.प.जै.धा.प्र.म. 73 193 | 1494 मीणलदे, सुहागदे अ.प.जै.धा.प्र.म. रांडेर गच्छ भं. | श्री शांति सूरी श्री धर्मनाथ गोत्र प्रा. ज्ञा. तपागणेन्द्र श्री सोम श्री अनंतनाथ सुंदर सूरी उपकेष वंष श्री धर्म घोष श्री श्री चन्द्रप्रभ खाटड गोत्र विजयचंद्रसूरी प्रा. ज्ञा. गोत्र खरतर श्री जिन सागर | श्री अजितनाथ 1941495 | घन्वादे, वील्हणदे अ.प.जै.धा.प्र.म. 73 | 1497 | सुद्रदे अ.प.जै.धा.प्र.म. 173 सूरी 196 | 1497 | चापल श्री कक्क सूरी श्री धर्मनाथ अ.प.जै.धा.प्र.म. |73 197| 1797 | दल्हा, ललतादे अ.प.जै.धा.प्र.म. 174 198 | 1497 | श्री मलदे अ.प.जै.धा.प्र.म. 74 उपकेष ज्ञा. उपकेष श्री सिद्ध सूरी श्री धर्मनाथ बाफणा गोत्र भावडार श्री श्री | उपकेष गच्छ श्री वीर | श्री संभवनाथ माल ज्ञा. श्री उसवंष श्री विजय चंद्र सूरीश्री कुंथुनाथ पारख गोत्र प्रा. ज्ञा. तपा श्री सोम सुंदर सूरी | श्री सुमतिनाथ | सूरी 199 1498 | पूनादे अ.प.जै.धा.प्र.म. 200 1498 | हांसलदे, तजनी अ.प.जै.धा.प्र.म. 74 201 1498| खीमलदे, हीरादे, उपकेष ज्ञा श्री नवभद्र सूरी श्री वासुपूज्य अ.प.जै.धा.प्र.म. 202 1499 | पोमी, पाणी श्री नवभद्र सूरी श्री संभवनाथ अ.प.जै.धा.प्र.म. 74 203 1499/संगादे उपकेष ज्ञा. बृहद् गच्छ श्री धर्मसिंह | श्री शांतिनाथ अ.प.जै.धा.प्र.म. सूरी 204 1499 माणिकदे श्रीमाल ज्ञा. श्री श्री पूर्ण भद्र सूरी श्री श्रेयांस पंचतीर्थी | अ.प.जै.धा.प्र.म. 205 | 1500 हासलदे श्री ब्रह्माण श्री प्रद्युम्न सूरी श्री कुंथुनाथ अ.प.जै.धा.प्र.म. 206 1499 | जइतलदे, हर्दा प्रा. ज्ञा. मुनिसुंदर सूरि/तपा मुनिसुव्रत दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. 207 1499 | सरसू. लषणादे उसवाल ज्ञा. मुनिसुंदरसूरि/तपा महावीर दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. 208 1500 पाल्हणदे श्रीमाल ज्ञा. दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. 209 1500 अची ऊकेंष वंष | जयकीर्तिसूरि/ सुमतिनाथ | अंचलगच्छ जिनसागरसूरि/ |श्रेयांसनाथ | खरतरगच्छ हेमरत्नसूरि/आगमगच्छ सुमतिनाथ दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. 210 | 1500 | पंचू, मचकू श्री श्री दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. 211 | 1500 जासू ऊकेष वंष मुनिसुव्रत दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. जयकीर्तिसूरि/ अंचलगच्छ महेन्द्रसूरी 212 1235| देमति नाणकीयगच्छ शांतिनाथ दी.जै.इ.इ.ऑ.अ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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