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________________ 272 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ । सन् श्राविका नाम | वंश/गोत्र अवदान संदर्भ ग्रंथ प प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ महेंद्रसूरि सं १२६३ जयाटा जिनप्रतिमा जै.शि.सं.भा. ३ सं १२६५ सलखणदेवी माणिक्यचंद्रसूरि माणिक्यचंद्रसूरि श्रीशांतिनाथ जै.शि.सं.भा. ३ | सं १२६८ जसवइ नरचंद्रसूरि नरचंद्रसूरि जिन प्रतिमा जै.शि.सं.भा. ३ । १७ श्री कक्कसूरि श्री कक्कसूरि श्री आदिनाथ जे. जै. ले. सं. भा.२ ७ सं १३०० मोषलदे १६४ | सं १३०० | कमूदेवी लक्ष्मी । श्री यशोभद्रसूरि श्री यशोभद्रसूरि श्री मल्लिनाथ वही. | ललियादेवी | सेनरस की प्रपितामही | वीरनंदि सिद्धांत चक्रवर्ती | उसने एक जिनमंदिर का निर्माण| जै. शि. सं. भा.५ | ७६ थी। कराया था, मूर्तिकार जिन्नोज द्वारा मूर्ति बनवाकर भट्टारक लक्ष्मीसेन द्वारा स्थापित की गई थी। | १६६ / १३४६ | नाल्लात्ताल जै. इ. इ. त. | २| | पोन्नुर निवासी मन्नइ पोन्नानदइ की पुत्री थी। तिरूमलै में विहार नायनार | पोनेइलनाथर नामक अर्हत प्रतिमा की स्थापना की थी। १६७१४ वीं शती मारूदेवी माणिक नागय्या की मारूदेवी कला में निपुण थी। जै. इ. आंध्र. ३० पुत्री थी। र १३८४ मारदेवी मारदेवी की मत्यु केशवदेवी की बड़ी बहन जै. सि. भा. जै.शि.संभा.४ ७ | १६६ १३०१ । लक्ष्मीदेवी लक्ष्मीदेवी श्रीबाथा की पलि थी। लाखाक में उसने आदिनाथ | जै. शि. सं. भा. ५ | ७४ भगवान की मूर्ति स्थापित की थी १० १३७२ लक्ष्मी बोम्मक्क | सोहरबवीरगोड़ की पुत्री. सोहरब वंश | तवनिधि ब्रह्म गौण की पत्नि थी। उदारदानादि कार्य किया, अंतिम | दा. भा. में. जै. ध. | १५३ समय में समाधि पूर्वक मत्यु का वरण किया । रामक्क | ११४ वी शती का यसन्५३६ गेरूसोप्पे के सेठ | योजनसेट्टी की पत्नि थी। अनंततीर्थ चैत्यालय का निर्माण | कराया था। चतुर्विध दान में | अग्रणी थी। द. भा. जै. ध. जै. सि. भा. १५६ ११ | १७२ | 8 वी शती | शांतलदेवी | बोमण्णसेट्टी की पुत्री, का मध्य राजा हरिण्णरस की रानी थी। द. भा. जै. ध. | १५६ समाधिपूर्वक मत्यु | का वरण किया था । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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