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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास २२५ २२६ ૨૨૭ ५.३ चौदहवीं पंद्रहवीं शती की जैन श्राविकाएँ ५.४ ओसिया तीर्थ एवं ओसवाल जाति की उत्पत्ति का इतिहास ५.५ दक्षिण भारत में जैन धर्म ५.६ शैवों और वैष्णवों का काल ; जैन धर्म का पतन ५.७ श्रवणबेलगोला के ५०० शिलालेख ५.८ कर्नाटक की जैन श्राविकाएँ ५.६ दक्षिण भारत में विविध वंशोत्पन्न जैन श्राविकाओं का योगदान ५.१० इन शताब्दियों की जैन श्राविकाओं का योगदान २२६ २३० २३२ ३६३ ३६३ ३६३ अध्याय - ६ - सोलहवीं से बीसवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ मध्यकालीन राजनैतिक एवं धार्मिक परिस्थितियाँ ६.१ मुगलकालीन साम्राज्य पर जैन धर्म का प्रभाव ६.२ मुगलकाल में श्राविकाओं का जैन धर्म प्रभावना में योगदान ६.३ उत्तर और दक्षिण भारत की श्राविकाओं का जैन धर्म प्रभावना में योगदान ६.४ जैसलमेर की जैन श्राविकाओं का योगदान ६.५ इस कालक्रम की महत्वपूर्ण श्राविकाएँ ३६५ ३६७ ३७२ ३७२ દર૬ ६२६ ६२६ ६३० अध्याय - ७ - आधुनिक काल की जैन श्राविकाएँ ७.१ आधुनिक कालीन परिस्थितियाँ ७.२ राजनीति के क्षेत्र में श्राविकाएँ ७.३ स्वतंत्रता संग्राम मे जैन श्राविकाएँ ७.४ साहित्यिक क्षेत्र में जैन श्राविकाएँ ७.५ समाज, संस्कृति, शिक्षा, कला, ध्यान आदि विभिन्न क्षेत्रों में श्राविकाएँ ७.६ तप एवं संलेखना के क्षेत्र में जैन श्राविकाओं का योगदान ७.७' इस काल की प्रभावशाली श्राविकाएँ ६३१ ६३१ ६३४ ६३५ अध्याय - ८ ७०१ उपसंहार ७०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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