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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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५.३ चौदहवीं पंद्रहवीं शती की जैन श्राविकाएँ ५.४ ओसिया तीर्थ एवं ओसवाल जाति की उत्पत्ति का इतिहास ५.५ दक्षिण भारत में जैन धर्म ५.६ शैवों और वैष्णवों का काल ; जैन धर्म का पतन ५.७ श्रवणबेलगोला के ५०० शिलालेख ५.८ कर्नाटक की जैन श्राविकाएँ ५.६ दक्षिण भारत में विविध वंशोत्पन्न जैन श्राविकाओं का योगदान ५.१० इन शताब्दियों की जैन श्राविकाओं का योगदान
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अध्याय - ६ - सोलहवीं से बीसवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
मध्यकालीन राजनैतिक एवं धार्मिक परिस्थितियाँ ६.१ मुगलकालीन साम्राज्य पर जैन धर्म का प्रभाव ६.२ मुगलकाल में श्राविकाओं का जैन धर्म प्रभावना में योगदान ६.३ उत्तर और दक्षिण भारत की श्राविकाओं का जैन धर्म प्रभावना में योगदान ६.४ जैसलमेर की जैन श्राविकाओं का योगदान ६.५ इस कालक्रम की महत्वपूर्ण श्राविकाएँ
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अध्याय - ७ - आधुनिक काल की जैन श्राविकाएँ ७.१ आधुनिक कालीन परिस्थितियाँ ७.२ राजनीति के क्षेत्र में श्राविकाएँ ७.३ स्वतंत्रता संग्राम मे जैन श्राविकाएँ ७.४ साहित्यिक क्षेत्र में जैन श्राविकाएँ ७.५ समाज, संस्कृति, शिक्षा, कला, ध्यान आदि विभिन्न क्षेत्रों में श्राविकाएँ ७.६ तप एवं संलेखना के क्षेत्र में जैन श्राविकाओं का योगदान ७.७' इस काल की प्रभावशाली श्राविकाएँ
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अध्याय - ८
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उपसंहार
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