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________________ साध्वी डॉ. प्रतिभा मरणसमाहि कुसले इंगिय– पत्थियसमभाव वेत्तारे। ववहार विहि विहिण्णू अब्भुज्जयमरण सारहिणो।। (मरणविभक्ति, गाथा 327 ) मरणसमाही कुसला इंगिय- पत्थियसहाव वित्तारो। ववहारविहिविहिण्णू अब्भुज्जयमरणसारहिणो।।। (प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका, गाथा 30) आयरिय उवज्झाए सीसे साहम्मिए कुल-गणे य । जम्मि कसाओ कोई वि सव्वे तिविहेण खामेमि ।। (मरणविभक्ति , गाथा 336 ) आयरिय उवज्झाए सीसे साहम्मिए कुल-गणे य । जे मे कया कसाया सव्वे तिविहेण खामेमि ।। (प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका, गाथा 488) एत्थ पुण भावणाओ पंय इमा होति संकिलिट्ठाओ। आराइएण सुविहिय ! जा निच्चं वज्जणिज्जाओ।। (मरणविभक्ति , गाथा 59 ) इत्थ पुण भावणाओ पणवीसं हंति संकिलिट्ठाओ। आराहएण सुविहिय ! जा निच्चं वज्जणिज्जाओ।। (प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका, गाथा 713) एवं भावियचित्तो संथारवरम्मि सुविहिय! सया वि। भावेहि भावणाओ वारस जिणवयणदिट्ठाओ।। (मरणविभक्ति, गाथा 570 ) एवं भावियचित्तो संथारवरम्मि सुविहिय! सया वि। भावेहि भावणाओ बारस जिणवयणदिट्ठाओ।। (प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका, गाथा 729) ___ मरण-विभक्ति आराधना-पताका छम्मासिया जहण्णा उक्कोसा बारसेव वरिसाइं । आयंबिलं महेसी तत्थ य उक्कोसयं बिति ।। ___(मरणविभक्ति , गाथा 182 ) तणुसंलेहा तिविहा उक्कोसा 1 मज्झिमा 2 जहण्णा 3 य। बारस वासा 1 बारस मासा 2 पक्खा वि बारस 3 इ।। (प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका, गाथा 09) एवं सरीरसंलेहणाविहिं बहुविहं पि फासिंतो । अज्झवसाणविसुद्धी खणं पि तो मा पमाइत्था । (मरणविभक्ति, गाथा 185 ) एवं सरीरसंलेहणाविहिं बहुविहं पि फासिंतो। अज्झवसाणविसुद्धि खणमवि खवओ न मुंचिज्जा । (प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका, गाथा 15) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003609
Book TitleAradhanapataka me Samadhimaran ki Avadharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji, Sagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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