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श्रमण-धर्म
निर्वाण की ओर जानेवाले मार्ग में कितनी ही बाधाएँ (परिस्सया) हैं । भिक्षु प्रज्ञापूर्वक कल्याणरत हो, उन बाधाओं को दूर करे। 159 इस प्रकार, बुद्ध परीषह सहन करने की अपेक्षा उसे दूर करना उचित समझते हैं। परीषह के मूल मन्तव्य की दृष्टि से तो दोनों ही परम्पराएँ समान हैं, दोनों में मात्र दृष्टिकोण का ही अन्तर है ।
वैदिक - परम्परा और परीषह - वैदिक परम्परा में भी मुनि के लिए कष्टसहिष्णु होना आवश्यक है। वैदिक-परम्परा तो यहाँ तक विधान करती है कि मुनि को जानबूझकर प्रकार सहन करने चाहिए। उसे कठिन तपस्या करनी चाहिए और अपने शरीरको भाँति-भाँति के कष्ट देकर सब कुछ सह सकने का अभ्यासी बने रहना चाहिए। कहना है कि वानप्रस्थी को पंचाग्नि के बीच खड़े होकर, वर्षा में बाहर खड़े होकर और जाड़े में भींगे वस्त्र धारण कर कष्ट सहन करना चाहिए। 160 उसे खुली भूमि पर सोना चाहिए और रोग हो जाए, तो भी चिंता नहीं करनी चाहिए। 161 इस प्रकार, . वैदिक परम्परा में संन्यासी के लिए कष्ट-सहिष्णु होना आवश्यक है और इस सम्बन्ध में जैन तथा वैदिकपरम्पराएँ समान दृष्टिकोण रखती हैं, फिर भी दोनों परम्पराओं मे किंचित् अन्तर है और वह यह है कि वैदिक परम्परा न केवल सहज भाव से उपस्थित हो जाने वाले कष्टों को सहन करने की बात कहती है, वरन् उससे भी आगे बढ़कर वह स्वेच्छापूर्वक कष्टों के आमन्त्रण कभी उचित समझती है ।
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श्रमण- कल्प
जैन आचार - दर्शन में श्रमण के लिए दस कल्पों का विधान है। कल्प (कप्प) शब्द IT अर्थ है - आचार-विचार के नियम । कल्प शब्द न केवल जैन- परम्परा में आचार के नियमों का सूचक है, वरन् वैदिक परम्परा में भी कल्प शब्द आचार के नियमों का सूचक है। वैदिक-परम्परा में कल्पसूत्र नाम के ग्रन्थ में गृहस्थ और त्यागी - ब्राह्मणों के आचारों का वर्णन है ।
जैन- परम्परा में निम्न दस कल्प माने गए हैं - ( 1 ) आचेलक्य-कल्प, (2) औद्देशिक- कल्प, (3) शय्यातर - कल्प, (4) राजपिण्ड - कल्प, (5) कृतिकर्म - कल्प, (6) व्रत-कल्प, (7) ज्येष्ठ-कल्प, (8) प्रतिक्रमण-कल्प, (9) मास-कल्प और (10) पर्युषण-कल्प ।
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(1) आचेलक्य-कल्प - आचेलक्य शब्द की व्युत्पत्ति अचेलक शब्द से हुई है। चेल वस्त्र का पर्यायवाची है, अतः अचेलक का अर्थ है - वस्त्ररहित । दिगम्बर- परम्परा के अनुसार, आचेलक्य-कल्प का अर्थ है-मुनि को वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। श्वेताम्बरपरम्परा अचेल शब्द को अल्पवस्त्र का सूचक मानती है और इसलिए उनके अनुसार
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