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________________ मनोवृत्तियाँ (कषाय एवं लेश्याएँ) 541 हित काअज-पोषण-न्याय के अनुसार वह कुछ ध्यान अवश्य रखता है, लेकिन मनोवृत्ति दूषित ही होती है, जैसे-बकरा पालने वाला बकरे को इसलिए नहीं खिलाता कि उससे बकरे का हित होगा, वरन् इसलिए खिलाता है कि उसे मारने पर अधिक मांस मिलेगा। ऐसा व्यक्ति दूसरे का बाह्य-रूप में जो भी हित करता-सा दिखाई देता है, उसके पीछे उसका गहन स्वार्थ छिपा रहता है। 3. कापोत-लेश्या (अशुभमनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण- यह मनोवृत्ति भी दूषित है। इस मनोवृत्ति में प्राणी का व्यवहार मन, वचन, कर्म से एकरूप नहीं होता। उसकी करनी और कथनी भिन्न होती है। मनोभावों में सरलता नहीं होती, कपट और अहंकार होता है। वह अपने दोषों को सदैव छिपाने की कोशिश करता है। उसका दृष्टिकोणअयथार्थ एवं व्यवहार अनार्य होता है। वह वचन से दूसरे की गुप्त बातों को प्रकट करने वाला, अथवा दूसरे के रहस्यों को प्रकट कर उससे अपना हित साधने वाला, दूसरे के धन का अपहरण करने वाला एवं मात्सर्य-भावों से युक्त होता है। ऐसा व्यक्ति दूसरे का अहित तभी करता है, जब उससे उसकी स्वार्थ-सिद्धि होती है। ___4. तेजो-लेश्या (शुभ मनोवृत्ति) सेयुक्तव्यक्तित्व के लक्षण- यहाँ मनोदशा पवित्र होती है। इस मनोभूमि में प्राणी पापभीरु होता है, अर्थात् वह अनैतिक-आचरण की ओर प्रवृत्त नहीं होता। यद्यपि वह सुखापेक्षी होता है, लेकिन किसी अनैतिक-आचरण द्वारा उनसुखों की प्राप्ति याअपना स्वार्थ-साधन नहीं करता।धार्मिक एवं नैतिक-आचरण में उसकी पूर्ण आस्था होती है, अत: उन कृत्यों के सम्पादन में आनन्द प्राप्त करता है, जो धार्मिक या नैतिक-दृष्टि से शुभ हैं। इस मनोभूमि में दूसरे के कल्याण की भावना भी होती है। संक्षेप में, इस मनोभूमि में स्थित प्राणी पवित्र आचरणवाला, नम्र, धैर्यवान्, निष्कपट, आकांक्षारहित, विनीत, संयमी एवं योगी होता है। वह प्रिय एवं दृढ़धर्मी तथा पर-हितैषी होता है। इस मनोभूमि पर दूसरे का अहित तो सम्भव होता है, लेकिन केवल उसी स्थिति में, जबकि दूसरा उसके हितों का हनन करने पर उतारू हो जाए। 5. पद्म-लेश्या (शुभतर मनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण- इस मनोभूमि में पवित्रता की मात्रा पिछली भूमिकाकी अपेक्षा अधिक होती है। इस मनोभूमि में क्रोध, मान, माया एवं लोभ-रूप अशुभ मनोवृत्तियाँ अतीव अल्प, अर्थात् समाप्तप्राय हो जाती हैं। प्राणी संयमी तथा योगी होता है तथा योग-साधना के फलस्वरूप आत्मजयी एवं प्रफुल्लचित्त होता है। वह अल्पभाषी, उपशांत एवं जितेन्द्रिय होता है। 6.शुक्ल-लेश्या (परमशुभ मनोवृत्ति) से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण- यह मनोभूमि शुभ मनोवृत्ति की सर्वोच्च भूमिका है। पिछली मनोवृत्ति के सभी शुभ गुण इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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