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कर्म-सिद्धान्त
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10. स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. 220. 11. श्वेताश्वेतरोपनिषद्, 1/1-2. 12. श्वेताश्वेतर (भा.), 1/2.
वही,6/1. 14. वही, 1/3. 15. गीता, 8 /23,5/14,9/8, 18/61.
अंगुत्तरनिकाय,3/61. सुत्तनिपात वासेठसुत्त, 60-61. बौद्धधर्मदर्शन, पृ. 250.
मल्झिमनिकाय, 3/45. 20. भगवतीसूत्र, 1/2/64.
सन्मति प्रकरण, 3/53. 22. गीता, 18/14. 23. गीतारहस्य, पृ. 55-56.
गीता, 5/8-11. अंगुत्तरनिकाय-उद्धृत बौद्ध-दर्शन और अन्य भारतीय दर्शन, पृ. 463. बौद्ध धर्म दर्शन, पृ. 249.
वही, पृ. 255. 28. कर्मविपाक (कर्मग्रन्थ पहला), 1. 29. दर्शन और चिन्तन, पृ. 225.
गोम्मटसार कर्मकाण्ड, 6. अष्टसहस्री, पृ. 51; उद्धृत-स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. 227. कर्मविपाक, भूमिका, पृ. 24.
श्री अमर भारती, नव. 1965, पृ. 9. 34. स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. 225-26.
मिलिन्दप्रश्न, लक्षणप्रश्न, द्वितीय वर्ग. 36. स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. 228.
अमर भारती, नवम्बर 1965,पृ. 11-12 38. समयसार, 218-19. 39. माज्झिमनिकाय, 3/1/3. 40. विसुद्धिमग्ग, भाग 2, पृ. 205.
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