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________________ 4. बौद्ध - दृष्टिकोण 5. बुद्ध के आत्मवाद के सम्बन्ध में दो गलत दृष्टिकोण 279/ भ्रान्त धारणाओं का कारण - 28 - अनात्म (अनत्त) का अर्थ 282 / आत्मा (अत्ता) का अर्थ 283 / अनित्य का अर्थ 283 / अव्याकृत का सम्यक् अर्थ 283 / बुद्ध मौन क्यों रहे ? 283/ 6. जैन और बौद्ध - दृष्टिकोण की तुलना 7. गीताका दृष्टिकोण जैन, बौद्ध और गीता के दृष्टिकोणों की तुलना 285/ 8. आत्मा की अमरता 9. कर्मसिद्धान्त और पुनर्जन्म 10. ईसाई और इस्लाम धर्मों का दृष्टिकोण 11. उक्त दृष्टिकोण की समीक्षा 12. वैयक्तिक विभिन्नताओं के लिए वंशानुक्रम का तर्क एवं उसका उत्तर 13. पूर्वजन्मों की स्मृति के अभाव का तर्क एवं उसका उत्तर जैन- दृष्टिकोण 289 / बौद्ध - दृष्टिकोण 289 / क्या बौद्धअनात्मवाद पुनर्जन्म की व्याख्या कर सकता है ? 290 / गीता दृष्टिकोण 291 / निष्कर्ष 292/ 14. पाश्चात्य - दर्शन में आस्था की अमरता या मरणोत्तर जीवन दार्शनिक युक्तियाँ 292 / वैज्ञानिक युक्ति 293/ नैतिक युक्तियाँ 293/ (अ) ज्ञान की पूर्णता के लिए 293/ (ब) नैतिक आदर्श की पूर्णता या चरित्र के लिए पूर्ण विकास के लिए 294 / (स) मूल्यों के संरक्षण के लिए 294 / (द) शुभाशुभ के फल- भोग के लिए 294 / 1. नैतिक जीवन और स्वतन्त्रता व्यक्ति-स्वातन्त्र्य के दो दृष्टिकोण 298 / 2. महावीरकालीन नियतिवादी मान्यताएँ Jain Education International 278 For Private & Personal Use Only 282 284 285 285 286 286 286 288 288 292 9 आत्मा की स्वतन्त्रता 297 298 www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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