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________________ -27 253 258 260 6. आत्मा के लक्षण (अ) ज्ञानोपयोग 255/ (ब) दर्शनोपयोग 256/ (स) आत्मनिर्णय की शक्ति (वीर्य) 257/ आनन्द 257/ 7. आत्मा परिणामी है अपरिणामी-आत्मवाद की नैतिक समीक्षा 259/ 8. आत्मा कर्ता है एकान्त-कर्तृत्ववादके दोष 261/ आत्म-कर्तृत्व के सम्बन्ध में कुन्दकुन्द के विचार 261/ एकान्त-अकर्तृत्ववाद के दोष 262/ निष्कर्ष 262/ बौद्ध-दृष्टिकोण की समीक्षा 263/ गीता का दृष्टिकोण 263/ 9. आत्माभोक्ता है 10. आत्मा स्वदेह-परिणाम है आत्मा के विभुत्व की नैतिक समीक्षा 264/ 11. आत्माएँ अनेक हैं एकात्मवाद की नैतिक समीक्षा 265/ अनेकात्मवाद की नैतिक कठिनाई 266/ जैनदर्शन का निष्कर्ष 266/ बौद्ध-दृष्टिकोण 267/ गीता का दृष्टिकोण 267/ 12. आत्मा के भेद विवेक-क्षमता के आधार पर आत्माकेभेद 269/ जैविक आधार पर प्राणियों का वर्गीकरण 269/ गतियों के आधार पर जीवों का वर्गीकरण 270/ 264 264 265 268 आत्मा की अमरता 1. अनित्य-आत्मवाद 273 एकान्त अनित्य-आत्मवाद की नैतिक समीक्षा 273/ 2. नित्य-आत्मवाद 275 एकान्त नित्य-आत्मवाद की नैतिक कठिनाई 276/ 3. जैन-दृष्टिकोण 276 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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