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________________ - 25 - और जैनदर्शन 182 / 9. सत्तावादी नीतिशास्त्र और जैनदर्शन आचारदर्शन को प्रमुखता 184 / वैयक्तिक नीतिशास्त्र 184 / अन्तर्मुखी चिन्तन 185 / शाश्वत आनन्द पदार्थों के भोग में नहीं 187/ 10. मार्क्सवाद और जैन - आचारदर्शन भौतिक एवं आध्यात्मिक आधारों में अन्तर 188 / आर्थिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण में अन्तर 189/ भोगमय एवं त्यागमय जीवनदृष्टि में अन्तर 190 / मानवमात्र की समानता में आस्था 190/ संग्रह की प्रवृत्ति का विरोध 190/ समत्व का संस्थापन 191 / साम्य नैतिकता का प्रमापक 192/ 11. डब्ल्यू. एम. अरबन का आध्यात्मिक मूल्यवाद और जैनदर्शन नैतिक मूल्य 192/ 12. भारतीय दर्शनों में जीवन के चार मूल्य 1. जैनदृष्टि में पुरुषार्थचतुष्टय 194 / 2. बौद्धदर्शन में पुरुषार्थचतुष्टय 195 / 3. गीता में पुरुषार्थचतुष्टय 197/ 13. चारों पुरुषार्थों की तुलना एवं क्रम-निर्धारण 14. मोक्ष सर्वोच्च मूल्य क्यों ? 15. भारतीय और पाश्चात्य मूल्यसिद्धान्तों की तुलना 16. नैतिक - प्रतिमानों का अनेकान्तवाद 17. जैनदर्शन में सदाचार का मानदण्ड Jain Education International 1. आचारदर्शन और तत्त्वमीमांसा का पारस्परिक सम्बन्ध जैन- दृष्टिकोण 220 / बौद्ध- दृष्टिकोण 222 / गीता का दृष्टिकोण 223 / सत् के स्वरूप का आचारदर्शन पर प्रभाव 224 / सत् के स्वरूप की विभिन्नता के कारण 224 / भारतीय चिन्तन में सत् सम्बन्धी विभिन्न दृष्टिकोण 225/ 183 For Private & Personal Use Only 187 191 194 आचारदर्शन का तात्त्विक आधार 219 198 200 201 204 210 www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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