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________________ - 23 - 103 106 108 109 तथा मनुस्मृति आदि 102/बौद्ध-दृष्टिकोण 102/ ब्रैडले का दृष्टिकोण और जैनदर्शन 103/ 3. नैतिकता का निरपेक्ष पक्ष 4. उत्सर्ग और अपवाद 5. डिवी का दृष्टिकोण और जैन-दर्शन 6. सापेक्ष नैतिकता और मनपरतावाद 7. सापेक्ष नैतिकता और अनेकान्तवाद 8. आदर्श व्यक्ति का आचार एवं मार्ग-निर्देश ही जनसाधारण के लिए प्रमाणभूत 9. मार्गदर्शक के रूप में शास्त्र 10. निष्पक्ष बौद्धिक प्रज्ञा ही अन्तिम निर्णायक 11. नीति के सापेक्ष और निरपेक्ष तत्त्व 110 111 112 113 113 __ 121 122 122 नैतिक-निर्णय का स्वरूप एवं विषय 1. नैतिक-निर्णय का स्वरूप 2. नैतिक-निर्णय का कर्ता 3. हेतुवाद और फलवाद की समस्या 4. हेतु और फल के सम्बन्ध में जैन, बौद्ध तथा गीता का दृष्टिकोण 124 5. जैन-दर्शनों में हेतुवाद और फलवाद का समन्वय 127 तुलना 128/ मूल्यांकन 129/ 6. नैतिक-निर्णय के सन्दर्भ में पाश्चात्य विचारकों के दृष्टिकोण मिल 131/ कांट 131/ मार्टिन्यू 131/ मैकेंजी 131/ 7. अभिप्राय और जैनदृष्टि 8. अभिप्रेरक और जैनदृष्टि 9. संकल्प और जैनदृष्टि 10. चारित्र और नैतिक-निर्णय 130 133 133 134 134 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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