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जैन, बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन
13.
14.
सन्दर्भ ग्रंथ1. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 78. 2. भगवतीसूत्र, 1/9.
आचारांग, 1/8/3. आचारांग, 1/4/1/127. (अ) सूत्रकृतांग, 1/1/1/11-12. (ब) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, 1/334. महाभारत, वनपर्व,312/115. कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 11. देखिए- लैंग्वेज, लाजिक एण्ड टुथ, पृ. 108-9. उद्धृत-लैंग्वेजआफ मारल्स, पृ. 12.
कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 33. 11. वही, पृ.37-38,40.
वही, पृ. 51. वही, पृ.53. सूत्रकृतांग, 2/5/27-28. वही, 1/12/2.
“सर्व एवहि जैनानांप्रमाणं लौकिको विधि:/"- यशस्तिलकचम्पू, 8/34. 17. स्थानांगसूत्र, 10.
गीता, 1/40-43.
देखिए-नीतिशास्त्र का सर्वेक्षण, पृ.97. 20. उपासकदशांग, 1/43. 21, कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 97. 22. गीता, 16/23-24.
इतिवृत्तक, 3/5/3 (पृ. 51). 24. दीघनिकाय, महापरिनिब्बाणसुत्त, 2/3.
आचारांग, 1/6/2/181. 26. नीतिशास्त्र का सर्वेक्षण, पृ. 110. 27. कण्टेम्पररि एथिकलथ्योरीज, पृ. 61-73.
मनुस्मृति, 6/46. 29. महाभारत, अनुशासनपर्व, 113/9-10. 30. देखिए-नीतिशास्त्र का सर्वेक्षण, पृ. 110-119. 31. "वत्थु सहावोधम्मो"-कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 478.
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