SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 120 भारतीय आचारदर्शन एक तुलनात्मक अध्ययन 19. गीता 27. 30. गीतारहस्य, पृ. 51. 20. महाभारत,शान्तिपर्व, 259/17-18. 21. वही,33/32. 22. मनुस्मृति, 1/85. 23. महाभारत,शान्तिपर्व, 63/11. विसुद्धिमग्ग, भाग 1, पृ. 14. भगवान् बुद्ध, पृ. 161. एथिकल स्टडीज, पृ. 196. वही, पृ. 189. आचारांग, 1/4/1/127. उत्तराध्ययनसूत्र, अध्याय 23. चेलना के द्वारा अपने सतीत्व की रक्षा के लिए की गई आत्महत्या को जैन-विचारणा में अनुमोदित ही कियागया है। इसीप्रकारचेटकके द्वारान्याय कीरक्षा के लिए लड़ेगए युद्ध से उनके अहिंसा के व्रत को खण्डित नहीं मानागया है। पाश्चात्य आचारशास्त्र का आलोचनात्मक अध्ययन, पृ. 139. 32. नीतिशास्त्रकापरिचय, डॉ. श्रीचन्द, पृ. 122. 33. कण्टेम्पररि ऐथिकलथ्योरीज, पृ. 163. गीता, 3/21. 35. महाभारत, वनपर्व, 312/115. 36. उत्तराध्ययन, 1/42. एथिकलस्टडीज, पृ. 193, 226. अभिधानराजेन्द्रकोश, खण्ड 3, पृ. 902. 39. बृहत्कल्पनियुक्ति, 951. गीता, 16/24. 41. महाभारत, वनपर्व, 312/115. तस्माच्छास्त्रं प्रमाण ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ। ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि।।- गीता. 16/24. 43. कण्टेम्पररि एथिकल थ्योरीज, पृ. 163. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy