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आचरण के बिना ज्ञान से मुक्ति की वैसे ही इच्छा मुख में कवल लिए बिना जैसे तृप्ति की इच्छा आचरण ज्ञान का सार वह ज्ञान की परछाई है
ज्ञान युक्त आचरण से ही मोक्ष का द्वार खुलता है ज्ञान और आचरण साधना रूपी रथ के दो पहिएँ है किसी एक से कैसे संभव हो सकेगी मुक्ति मंजिल की यात्रा।
अनुभूति एवं दर्शन / 6
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