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भूत
भविष्य
वर्तमान में
खण्ड-1
अनुभूति
सत्य सदा अमर
मैं सत्य हूँ
मुझसे क्यों दूर भागते हो मैं सदा प्रासंगिक
मैं आग्रह- दुराग्रहों की दीवारों से मुक्त खुले आसमान में शाश्वत हूँ मैं पंथ, सम्प्रदाय से परे
न हिन्दू
न मुसलमान
न जैन
न बौध्द
मैं सत्य हूँ
मैं सदा अमर हूँ
चाहे फाँसी हो
चाहे जहर हो
मैं कभी मरता नहीं
क्योंकि
मैं सत्य हूँ
सदा अमर हूँ रादा प्रासंगिक हूँ
अनुभूति
दर्शन / 3
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