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________________ ८० : तत्त्वार्थसूत्र और उसकी परम्परा वस्तुतः उमास्वाति का तत्त्वार्थ को रचना में मुख्य प्रयोजन संक्षेप में या सूत्र रूप में जैन सिद्धान्तों को प्रस्तुत करना था, अतः उन्होंने अनावश्यक विस्तार से बचते हए सूत्ररूप में, फिर भी कोई महत्त्वपूर्ण पक्ष न छुटे, इस दृष्टि से विवेचन किया है। इसी सन्दर्भ में उन्होंने त्रिविध मोक्षमार्ग का विवेचन किया। तत्त्वार्थ को श्वेताम्बरमान्य आगमों से असंगति तो तब मानी जाती, जब आगमों में त्रिविध साधना का उल्लेख ही नहीं होता । जब आगमों में त्रिविध मोक्ष मार्ग के सन्दर्भ उपलब्ध हैं साथ ही दर्शन, ज्ञान और चरित्र का मोक्ष के हेतु के रूप में उल्लेख है, जब तत्त्वार्थ और आगम में असंगति का प्रश्न ही नहीं उठता है। यदि आगमों में मोक्ष के चार हेतुओं का उल्लेख होने में ही उन्हें असंगति दृष्टिगत होती है तो ऐसी असंगति तो स्वयं कुन्दकुन्द में ही तथा कुन्दकुन्द के ग्रन्थों और तत्त्वार्थ सूत्र में भी दिखाई देती है-देखिए कुन्दकुन्द स्वयं एवं दिगम्बर परम्परा के अन्य ग्रन्थकार भी उत्तराध्ययन के समान चतुर्विध मोक्ष मार्ग का वर्णन कर रहे हैं णाणण दंसणेण तवेण चरिएण सम्मसहिएण। होहदि परिनिव्वाणं जीवाणं चरितसुद्धाणं ।। -सीलपाहुड, ११ णाणेण दसणेण य तवेण चरियेण संजमगुणेण । चउहिं पि समाजोगे मोक्खो जिणसासणे दिट्टो ।। -दर्शनपाहुड, ३० णाणम्मि दंसणम्मि य तवेण चरिएण सम्मसहिएण। चोपहं पि समाजोगे सिद्धा जीवा ण संदेहो । -दर्शनपाहुड, ३२ दसणणाणचरित्तं तवे य पावंति सासणे भणियं । जो भविऊण मोक्खं तं जाणह सुदह माहप्पं ।। - अंग प्रज्ञप्ति, ७६ यहीं नहीं पंचविध मार्ग का उल्लेख भी आगमानुसार कुन्दकुन्द ने शीलप्राभृत में किया है सम्मत णाण दंसण तव वोरियं पंचयारमप्पाणं । जलणो वि पवण सहिदो डहंति पोरायण कम्मं ॥ -सीलपाहुड, ३ यदि उत्तराध्ययन में दो गाथाओं में चतुर्विध साधनामार्ग का उल्लेख होने से एवं तत्त्वार्थसूत्र में त्रिविध साधना मार्ग उल्लेख होने से तत्त्वार्थसूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003603
Book TitleTattvartha Sutra aur Uski Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1994
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, History, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size8 MB
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