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वैशेषिक–दर्शन स्थापित हुआ। एक ओर, भद्रबाहु के साथ जाने वाले हजारों-हजार मुनि पूर्वी समुद्र के तट पर फैल गए। उन्होंने तमिलनाडु, केरल और आन्ध्रप्रदेश में जैन धर्म का प्रसार प्रारंभ किया। मध्यकालीन घटनाओं से पता चलता है कि ध्यान का स्थान शास्त्रीय-ज्ञान, विद्या और मंत्रों ने लिया। शक्ति और चमत्कारों का प्रभाव पड़ने लगा। पादलिप्तसूरि का एक प्रसंग है- मथुरा का राजा मुरंद था। उसके सिर में भयंकर दर्द हो गया। वह दर्द औषधियों से शान्त नहीं हो रहा था। राजा ने कहा-“महाराज! आप ज्ञानी हैं, विद्याधर हैं। मेरे सिर में असह्य दर्द हो रहा है। कृ पा कर उसे शान्त कर दें।" पादलिप्तसूरि ने अपनी तर्जनी अंगुली से तीन बार अपने घुटने को थपथपाया। इधर घुटने पर तर्जनी अंगुली चली और उधर राजा का सिरदर्द दूर हो गया। इस प्रकार चमत्कारों का महत्व बढ़ा।
ध्यान दर्पण/43
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