________________
बदलती रहती है। ओरा में कभी लाल, कभी नीला, कभी काला और कभी सफेद रंग उभर आता है । हमारे ओरा में भावों के अनुरूप रंग बदलते रहते हैं।
1
चित्त को आनन्द - केन्द्र (हृदय का भाग) पर स्थापित करें, वहाँ चमकते हरे रंग का ध्यान करें। शरीर के चारों ओर हरा रंग फैला हुआ है। । श्वास भी हरे रंग का बन गया है। उस रंग के साथ हमारी भावधारा भी निर्मल हो रही है।
इसी प्रकार, रंग के सहारे हम विभिन्न चैतन्य - केन्द्रों (१३ प्रकार के) पर विभिन्न रंगों का ध्यान कर सकते हैं ।
विशुद्धि-केन्द्र पर
नीला रंग
दर्शन-केन्द्र पर
अरुण रंग
ज्ञान-केन्द्र पर
पीला रंग
ज्योति-केन्द्र पर
श्वेत रंग
हमारे शरीर में १३ प्रकार के चैतन्य - केन्द्र हैं। उनके नाम व स्थान चित्र में दिखाए गए हैं। वे हमारे शरीर के मर्मस्थल हैं। वहां ध्यान करने से वे प्रज्वलित होकर हमें जगाते हैं । मेरी साधना में मैंने इन चैतन्य - केन्द्रों का अधिक सहारा लिया था । इन १३ चैतन्य - केन्द्रों के नाम इस प्रकार हैं
१
शक्ति केन्द्र
२
४
६
19
स्वास्थ्य केन्द्र
तेजस्-केन्द्र
आनन्द-केन्द्र
विशुद्धि - केन्द्र
ब्रह्म-केन्द्र
प्राण-केन्द्र
--
Jain Education International
(पृष्ठ - रज्जु के नीचे के छोर पर)
(पेडू)
(नाभि)
(हृदय के पास, बीच में)
(कंठ)
(जिह्वाग्र)
(नासाग्र)
For Private & Personal Use Only
ध्यान दर्पण / 131
www.jainelibrary.org