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________________ ७ सितम्बर - अत्यंत कमजोर अवस्था में भी आचार्य श्री भक्तों को दर्शन देने जा रहे हैं। ७सितम्बर १९५५ सल्लेखना का आज २५ वां दिन था। ४ सितम्बर के बाद जल ग्रहण न करने का तीसरा दिन । कमजोरी बहुत बढ गयी थी, फलत: चक्कर भी आने लगे । बिना लोगों के सहारे के खड़े होना मुश्किल हो गया था, फिर भी जनता को दोनों समय दर्शन दिये । आज जब लोगों ने आचार्य श्री से चर्या के समय जल ग्रहण करने के लिये निवेदन किया तो आचार्य श्री ने यही उत्तर दिया कि चूंकि बिना सहारे शरीर खड़ा भी नहीं हो सकता, अतः पवित्र दिगंबर साधु चर्या को सदोष नहीं बनाया जा सकता, जैसी कि शास्त्राज्ञा है। ८ सितम्बर - अन्तिम संदेश ध्वनिमुद्रित करते हुए ८सितम्बर १९५५ आचार्य श्री की सल्लेखना का २६ वां दिन था । कमजोरी बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी । आज दिन अकिवाट से श्री १०८ मुनि पिहितास्रव जी भी आ गये । आचार्य श्री को कमजोरी के कारण बिना सहारा दिये चलना भी मुश्किल हो गया । बंबई से श्री निरंजनलालजी पं. तनसुखलालजी काला की सद्प्रेरणा से रिकार्डिंग मशीन लेकर आचार्य श्री के दर्शनार्थ पधारे। आज आचार्य श्री का २२ मिनट मराठी में अंतिम उपदेश हुआ जो रिकार्ड किया गया। इस समय गुफा में दोनों क्षुल्लक जी, भट्टारक लक्ष्मीसेनजी, भट्टारक जिनसेनजी, संघपति सेठ गेंदनमल जी, बाबूराव पंडेरकर आदि उपस्थित थे। रिकार्ड होने के बाद जब दुबारा सुना गया तब पं.शिखरचंद जी (मैनेजर-महासभा विशारद) भी वहां पहुंच गये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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