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५ सितम्बर - आचार्य श्री दर्शनार्थियों को दर्शन देने हेतु पधारते हुए।
५ सितम्बर १९५५
आज सल्लेखना का २३ वां दिन है। अशक्ति बढती जाती है। फलत: खड़े होने और बैठने में भी सहारा लेना पड़ता था। फिर भी दोपहर में २ मिनिट के लिये बाहर आये, और जनता को शुभाशीर्वाद दे तृप्त किया। सारा समय गुफा में आत्मध्यान में व्यतीत किया।
६ सितम्बर - आचार्य श्री की स्थिति से उपस्थित जनसमूह को अवगत कराने हेतु रखी गई जनसभा का दृश्य ।
६ सितम्बर १९५५ दोनों समय जनता को दर्शन देकर जनता को तृप्त किया।
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