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________________ १४ अगस्त - नियम-सल्लेखना की घोषणा करने के बाद आचार्य श्री शांत-सहज मुद्रा में। १४ अगस्त १९५५ आचार्य श्री ने प्रात: नौ बजे बादाम का पानी ग्रहण किया और तदनन्तर उपस्थित जनता के सम्मुख एक सप्ताह की नियम सल्लेखना धारण करने की घोषणा की। महाराज को अंतिम आहार देने का श्रेय बारामती के गुरू-भक्त सेठ चन्दूलालजी सराफ को प्राप्त हुआ। गि १५ अगस्त - दर्शनार्थ मन्दिर जाने को उद्यत आचार्य श्री। १५ अगस्त १९५५ - महाराज ने जल नहीं लिया । मध्याह्नोपरांत तीन बजे शांतिसागर दिगम्बर जैन जिनवाणी जीर्णोद्धारक संस्था, बम्बई की ओर से ताम्र पत्रों पर उत्कीर्ण श्री धवल, जय धवल, एवं महाधवल सिद्धांत ग्रन्थ आचार्य श्री को समर्पित किये गये । महाराज की आज्ञानुसार फल्टन (महा.) द्वारा प्रकाशित रत्नकरण्ड श्रावकाचार महाराज को भेंट किया गया । इस अवसर पर महाराज ने श्रुतोद्धार के ऊपर मार्मिक प्रवचन दिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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