SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 529
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पावन स्मृति प्रातःस्मणीय आचार्य महाराज तो स्वर्गीय निधि बन गए। अब पावन-स्मृति-मात्र शेष है। उनके पुण्य जीवन के संस्मरण बड़े मधुर, मार्मिक तथा शान्तिदायक हैं। हमने अपने संस्मरणों के साथ अनेक धर्ममूर्ति मुनियों, त्यागियों, श्रावकों आदि के संस्मरणों का संकलन किया है। इन संस्मरणों के माध्यम से उस महान् तपोमूर्ति गुरुदेव के जीवन की एक झलक प्राप्त होती है। इनके द्वारा मोह मलिन मन को विशुद्धता प्राप्त होती है। कुंथलगिरि पर्दूषण कुंथलगिरि में आचार्य शांतिसागर महाराज के चातुर्मास में पर्युषण पर्व पर ता. १२ सितम्बर सन् १९५३ से ता. २६ सितम्बर सन् १९५३ तक रहने का पुण्य सौभाग्य मिला था। उस समय आचार्यश्री ने ८३ वर्ष की वय में पंचोपवास मौनपूर्वक किए थे। इसके पूर्व में भी दो बार पंचोपवास हुए थे। करीब १८ दिन का मौन रहा था। भाद्रपद के माह भर दूध का भी त्याग था। पंचरस तो छोड़े चालीस वर्ष हो गए। घोर तप प्रश्न-“महाराज! घोर तपस्या करने का क्या कारण है ?" उत्तर-“हम समाधिमरण की तैयारी कर रहे हैं। सहसा आँख की ज्योति चली गई, तो हमें उसी समय समाधि की तैयारी करनी पड़ेगी। कारण, उस स्थिति में समिति नहीं बनेगी, अतः जीवरक्षा का कार्य नही बनेगा। हम तप उतना ही करते हैं, जितने में मन की शांति बनी रहे।" निर्वाण-भूमि का प्रभाव प्रश्न-“महाराज ! पाँच-पाँच उपवास करने से तो शरीर को कष्ट होता होगा?" उत्तर- “हमें यहाँ पाँच उपवास एक उपवास सरीखे लगते हैं। यह निर्वाण-भूमि का प्रभाव है। निर्वाण-भूमि में तपस्या का कष्ट नहीं होता है। हम तो शक्ति देखकर ही तप करते हैं।" मौन से लाभ प्रश्न-“महाराज ! मौन व्रत से आपको क्या लाभ पहुँचता है ?" उत्तर-“मौन करने से संसार से आधा सम्बन्ध छूट-सा जाता है। सैकड़ों लोगों के मध्य घिरे रहने पर भी ऐसा लगता है, मानो हम अपनी कुटी में ही बैठे हों। उससे मन की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy