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सूत्रकृतांग सूत्र कन्द आदि से लेकर बीज तक के रूप में स्वस्वकर्मानुसार उत्पन्न होने वाले जीवों का वर्णन भी पहले की तरह जान लेना चाहिए।
__इसी प्रकार औषधि वनस्पति के भी चार आलाप के होते हैं। जैसे- (१) पृथ्वीयोनिक औषधि, (२) औषधियोनिक औषधि, (३) औषधियोनिक अध्यारुह और (४) अध्यारुहयोनिक अध्यारुह ।
इसी प्रकार हरितकाय आदि के भी चार-चार आलापक होते हैं, जिन्हें जान लेना जरूरी है, जैसे कि -- (१) पृथ्वीयोनिक हरित, (२) हरितयोनिक हरित, (३) हरितयोनिक अध्यारुह एवं (४) अध्यारुहयोनिक अध्यारुह ।
___ यह सब वर्णन भी पूर्ववत् ही है और इतना स्पष्ट है कि उसे यहाँ और अधिक स्पष्ट करने की जरूरत नहीं है।
_ मूल पाठ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता पुढविजोणिया पुढविसंभवा जाव कम्मणियाणेणं तत्थवुक्कमा णाणाविहजोणियासु पुढवीसु आयत्ताए वायत्ताए कायत्ताए कूहणत्ताए कंदुकत्ताए. उव्वेहणियत्ताए निव्वेहणियत्ताए सछत्ताए छत्तगत्ताए वासाणियत्ताए करत्ताए विउटति, ते जीवा तेसि णाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेति, तेवि जीवा आहारॅति पुढविसरीरं जाव संतं। अवरेऽवि य णं तैसि पुढवीजोणियाणं आयत्ताणं जाव कराणं सरोरा णाणावण्णा जावमक्खायं एगो चेव आलावगो, सेसा तिण्णि णत्थि ॥
अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मणियाणेणं तत्थवुक्कमा णाणाविहजोणिएसु उदएसु रुक्खत्ताए विउति ते जीवा तेसि णाणा विहजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेति, ते जीवा आहारेंति पुढविसरीरं जाव संतं। अवरेऽवि य णं तेसि उदगजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं । जहा पुढविजोणियाणं रुक्खाणं चत्तारि गमा, अज्झारहाणवि तहेव, तणाणं ओसहीणं हरियाणं चत्तारि आलावगा भाणियव्वा एक्केक्के ।
अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मणियाणेणं तत्थवुक्कमा णाणाविहजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए अवगत्ताए पणगत्ताए सेवालत्ताए कलंबुगत्ताए हडत्ताए कसेरुगत्ताए कच्छभाणियत्ताए उप्पलत्ताए पउमत्ताए कुमुयत्ताए नलिणत्ताए सुभगत्ताए सोगंधियत्ताए पोंडरियमहापोंडरियत्ताए सयपत्तत्ताए सहस्सपत्तत्ताए एवं कल्हार-कोंकणयत्ताए
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