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सूत्रकृतांग सूत्र यही कारण है कि शास्त्रकार ने इस द्वितीय स्थान, धर्मपक्ष को आर्य कहा है। यहाँ तक कि सिद्धि, मुक्ति, निर्वाण और समस्त दुःखक्षीणता का मार्ग कहा है। यही स्थान एकान्त उत्तम और अच्छा है, यह बात निश्चित रूप से समझ लेनी चाहिए।
मूल पाठ अहावरे तच्चस्स ठाणस्स मीसगस्स विभंगे एवमाहिज्जइ । इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया मणुस्सा भवंति, तं जहा--अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, सुसीला, सुव्वया, सुप्पडियाणंदा साहू । एगच्चाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अप्पडिविरिया जाव जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोहिया कम्मंता परपाणपरितावणकरा कज्जंति, ततोवि एगच्चाओ अप्पडिविरिया।
से जहाणामए समणोवासगा भवंति अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा आसवसंवरवेयणाणिज्जराकिरियाहिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज्जदेवासुरनागसुवण्णजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहि निग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जा । इणमेव निग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिक्कंखिया निवितिगिच्छा लट्ठ गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा अट्ठिमिज्जापेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो ! निग्गंथे पावयणे अट्ठ अयं परमठे सेसे अणठे उसियफलिहा अवंगुयदुवारा अचियत्तंतेउरपरघरप्पवेसा चउद्दसमुद्दिठ्ठपुण्णिमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा, समणे निग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपरिग्गहकंबलपायपुंछणेणं ओसहभेसज्जेणं पीठफलगसेज्जासंथारएणं पडिलाभेमाणा बहूहि सोलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेएहि अप्पाणं भावेमाणा विहरंति । ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणंति पाउणित्ता आबाहंसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नंसि वा बहूई भत्ताई पच्चक्खायंति बहूई भत्ताई पच्चक्खाएत्ता, बहूइं भत्ताइं अणसणाए छेदेति बहूई भत्ताई अणसणाए छेइत्ता अलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवन्ति, तं जहा–महड्डिएसु महज्जुइएसु जाव महासुक्खेसु, सेसं तहेव जाव। एस ठाणे आरिए जाव एगंत साहू । तच्चस्स ठाणस्स मीस्सगस्स विभंगे एव
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