________________
१६
सूत्रकृताग सूत्र
शोक, चिन्ता, आफत आदि से दुःखी होकर वेदना को न सह सकने के कारण आग में जलकर, जल में डूबकर या अन्य किसी प्रकार से आत्महत्या करके मरने की इच्छा न करे । अर्थात् जीवन-मृत्यु दोनों में सम रहे । मोह या माया से मुक्त होकर संयमानुष्ठान में डटा रहे । 'त्ति' शब्द समाप्ति सूचक है, 'बेमि' का अर्थ पूर्ववत् है ।
सूत्रकृतांगसूत्र का तेरहवाँ याथातथ्य नामक अध्ययन अमर - सुख-बोधिनी व्याख्या सहित सम्पूर्ण ।
॥ याथातथ्य नामक तेरहवाँ अध्ययन समाप्त ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org