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________________ ७५४ सूत्रकृतांग सूत्र कि जो दुस्त्याज्य है, विनाश करने वाला है, या आत्मा के भीतर दबा- छिपा रहता है, उस सन्ताप ( सजीव या निर्जीव किसी भी पदार्थ के प्रति द्वेष, घृणा या शोक ) को छोड़कर अथवा मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग जो आस्रव के स्रोत हैं, जो संयमीजीवन या धर्ममय जीवन का अन्त करने वाले हैं, उन्हें छोड़कर सबसे निरपेक्ष होकर मोक्ष-पथ पर प्रगति करे । एक अनुभवी चारित्रात्मा ने कहा है छलिया अवयक्खता निरावयक्खा गया अविग्घेणं । तम्हा पवयण सारे निराजयक्खेण होयव्वं ॥ १ ॥ भोगे अवयवखता पति संसारसागरे घोरे । भोगेहिं निरवयक्खा तरंति संसारकंतारं ॥२॥ अर्थात् - जिन्होंने परपदार्थों की या परिग्रह की अपेक्षा (ममता ) रखी, वे ठगा गये, जो उनसे निरपेक्ष रहे वे निर्विघ्न होकर संसार सागर को पार कर गए। जो साधक भोगों की अपेक्षा रखते हैं, वे घोर संसार - समुद्र में डूब जाते हैं, किन्तु जो भोगों से निरपेक्ष रहते हैं, वे संसाररूपी अटवी को पार कर जाते हैं । free यह है कि साधु के लिए सांसारिक पदार्थों से लगाव रखना अधर्म है और निरपेक्ष रहना धर्म है । मूल पाठ पुढवी उ अगणी वाऊ, तणरुक्खसबीयगा 1 अंडया पोयजराऊ रस- संसेय- उभिया 11511 एतेहि छह काहि तं विज्जं परिजाणिया । मणसा कायवक्केणं, णारंभी ण परिग्गही ॥ ६ ॥ संस्कृत छाया पृथिव्या पोऽग्निर्वायुस्तृणवृक्षाः सबीजकाः 1 अण्डजाः पोतजरायुजाः, रस- संस्वेदोद्भिज्जाः ||८|| एनः षड्भिः कायैस्तद् विद्वान् परिज्ञाय 1 मनसा कायवाक्येन, नारम्भी न परिग्रही अन्वयार्थ ( पुढवी उ अगणी वाऊ तणरुक्खसबीयगा) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा तृण, वृक्ष और बीजसहित वनस्पति, (अंडया पोयजराऊ रससंसेयउब्भिया ) एवं अण्डज, पोतज, जरायुज, रसज, संस्वेदज, तथा उद्भिज्ज ये सब षट्कायिक जीव हैं || 11211 ( विज्ज) विद्वान् साधक ( एतेहि छहि काहि ) इन छह कायों से ( तं परिजाणिया) इन्हें जीव जानकर अथवा ज्ञपरिज्ञा से इन्हें जानकर ( मणसा कायवक्केणं) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003599
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year1979
Total Pages1042
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size17 MB
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