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________________ प्रथम अध्ययन समय : प्रथम अध्ययन - एक विश्लेषण अब प्रसंगवश सूत्रकृतांग सूत्र के प्रथम अध्ययन का कुछ विश्लेषण करना आवश्यक है । नामनिष्पन्न निक्षेप के अनुसार इस अध्ययन का गुणसम्पन्न नाम 'समय' है । 'अमरकोष' के अनुसार समय शब्द शपथ, आचार, काल, सिद्धान्त, संकेत, प्रतिज्ञा आदि अर्थों में प्रयुक्त होता है ।" प्रश्न यह है कि यहाँ इस समय अध्ययन में 'समय' किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है ? जैन आगमकार एक-एक शब्द का नाप-तौल कर प्रयोग करते हैं, वे निक्षेप के द्वारा एक विशिष्ट शैली से समय का विश्लेषण करके प्रसंगवश यहाँ 'सिद्धान्त' में उसका प्रयोग होना सूचित करते हैं । आगमकारों की विश्लेषण-पद्धति के अनुसार 'समय' का निक्षेप १२ प्रकार का होता है - ( १ ) नाम, (२) स्थापना, (३) द्रव्य, (४) क्षेत्र, (५) काल, (६) कुतीर्थ, (७) संगार, (८) कुल, (६) गण, (१०) संकर, (११) गण्डी और (१२) भाव । नामसमय - किसी का नाम 'समय' रख दिया, तदनुसार गुण उसमें नहीं होता, वह ' नामसमय' है । स्थापनासमय --- 'समय' की आकृति, प्रतीक, चित्र या अक्षर के रूप में स्थापना करना | द्रव्यसमय- - द्रव्य के सम्यक् अयन यानी परिणाम - विशेष – स्वभाव को द्रव्य- समय कहते हैं । जैसे- जीव द्रव्य का स्वभाव उपयोग है, पुद्गल द्रव्य का स्वभाव मूर्तत्व है । गति, स्थिति और अवकाश देना, क्रमशः धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्य का स्वभाव है । कालसमय - जिस द्रव्य के उपयोग के योग्य जो काल है, वह उसका काल - समय है । जैसे वर्षा ऋतु में नमक, शरद ऋतु में जल | अथवा कमल के सौ पत्तों के बींधने से व्यक्त होने वाले काल-विशेष को भी कालसमय कहते है । क्षेत्रसमय - क्षेत्र का अर्थ है - आकाश । आकाश के स्वभाव को १. 'समयाः शपथाचारकालसिद्धान्तसंविदः' इत्यमरः । Jain Education International १८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003599
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year1979
Total Pages1042
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size17 MB
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