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________________ ४१२ सूत्रकृतांग सूत्र अन्वयार्थ (अप्पेगे) यदि कोई (सुणी) कुत्ती आदि (लूसए) क्रूर प्राणी, (खुधियं भिक्खं) भूखे साधु को भिक्षा के लिए जाते समय (डंसति) काटने लगता है, (तत्थ) उस मौके पर (मंदा) विवेकमूढ़ अल्पपराक्रमी साधक (विसीयंति) इस प्रकार झल्ला उठते हैं, जैसे (तेउपुट्ठा) अग्नि का स्पर्श होते ही (पाणिणो) प्राणी झल्ला जाते हैं। भावार्थ भिक्षार्थ भ्रमण करते हुए भूखे साधु को यदि कोई कुत्ती आदि क्रूर प्राणी काट खाता है तो उस मौके पर जो कच्चे अल्पपराक्रमी साधक होते हैं, वे एकदम घबरा जाते हैं, जैसे आग का स्पर्श होते ही प्राणी घबरा उठते हैं । व्याख्या क्रूर प्राणियों द्वारा उपसर्ग आने पर इस गाथा में भिक्षार्थ जाते हुए साधक पर क्रू र प्राणियों द्वारा हमला करने पर उसकी मनोव्यथा कितनी असह्य हो उठती है ? इसका चित्रण करते हैं 'अप्पेगे खुधियं...." तेउपुट्ठा व पाणिणो ।' आशय यह है-एक तो बेचारा साधु भूखा होता है, फिर भिक्षा के लिए घूमते-घूमते कहीं कुत्त आदि उसके अजीब वेष को देखकर भौंकने लगते हैं, उस पर हमला करके काट भी खाते हैं, दाँतों से उसके अंग को क्षत-विक्षत कर डालते हैं। ऐसे समय में जो साधक अभी नये-नये साधु संस्था में भर्ती हुए हैं, वे अल्पसत्त्व साधक एकदम झल्ला उठते हैं या अपने अंगों को सिकोड़ते हुए आर्त होकर उसी तरह विषाद करते हैं, जिस तरह आग से जलते हुए प्राणी आर्तनाद करते हैं। कई दफा ऐसे क्रूर प्राणियों के आक्रमण से पीड़ित होकर वे संयम को भी छोड़ बैठते हैं, क्योंकि ऐसे ग्रामकण्टकों का सहना अत्यन्त दुष्कर होता है। मल पाठ अप्पेगे पडिभासंति पडिपंथियमागता । पडियारगया एते, जे एते एवं जीविणो ।।६।। संस्कृत छाया अप्येके प्रतिभाषन्ते प्रातिपथिकतामागताः । प्रतिकारगता एते, य एते एवंजीविनः ।। अन्वयार्थ (पडिपंथियमागया) साधुओं के साथ शत्रु ता या द्वषभाव पर उतरे हुए (अप्पेगे) कई लोग (पडिभासंति) इस प्रकार प्रतिकूल बोलते हैं कि (जे एते) जो ये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003599
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year1979
Total Pages1042
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size17 MB
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