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समय : प्रथम अध्ययन-तृतीय उद्देशक
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हो सकता । प्रत्येक वस्तु का उपादान कारण पहले सिद्ध होना चाहिए। लेकिन वह सिद्ध नहीं होता।
जब विष्णु ने ब्रह्मा को पैदा किया और ब्रह्मा ने आठ जगन्माताएँ बनाई तथा उन माताओं ने देव, दानव आदि को जन्म दिया, तब विष्णु, ब्रह्मा आदि ने क्या उनके शरीर और आत्मा दोनों को पैदा किया था या केवल शरीर को ही ? यदि आत्मा को पैदा किया तो उसका उपादानकारण कौन था ? यदि कहें कि उनकी आत्माएँ तो पहले से ही थीं तो भी प्रश्न होता है, उन आत्माओं को किसने बनाया ? इत्यादि रूप में उत्तरोत्तर इसी प्रकार प्रश्नों को झड़ो एक के बाद एक लगी रहेगी, जिससे अनवस्था दोष उपस्थित होगा। यदि कहें कि ब्रह्मा, विष्णु आदि ने तो उनके शरीर को ही बनाया, उनकी आत्माएँ तो अनादिकाल से थीं, तब हम पूछते हैं कि उन आत्माओं के साथ कर्म लगे हुए थे या नहीं? यदि कहें कि कर्म लगे हुए नहीं थे, वे तो बिलकुल शुद्ध, कर्मरहित थीं, तब तो उनके साथ कर्म लगा कर, उन्हें अशुद्ध करके संसार में विविधयोनियों में जन्म देने वाले विष्णु, ब्रह्मा आदि दयालु कैसे हो सकते हैं ? दूसरों को कर्मबन्धन के घोर संकट में डालने वाले दयालु, पूज्य और महान् कैसे हो सकते हैं ?
इस सम्बन्ध में दूसरा प्रश्न यह होता है कि विष्णु ने सृष्टि रचना किस प्रयोजन से की ? स्वभाववश की या क्रीडा (लीला) वश की या इच्छावश की या दयालुता से प्रेरित होकर की ? यदि स्वभाववश सृष्टि रचना मानें तो यथार्थ नहीं है, क्योंकि स्वभाव से जो कार्य होता है, वह सदा होता है, एक सरीखा होता है । जैसे अग्नि स्वभाव से ही दाह उत्पन्न करती है। जब तक अग्नि रहेगी, तब तक दाह उत्पन्न करती रहेगी, वैसे ही विष्णु यदि स्वभाववश सृष्टि रचता है, तब तो वह सतत ब्रह्मा आदि की एक-सी उत्पत्ति करता रहेगा । परन्तु आप ऐसा नहीं मानते, विष्णु तो ब्रह्मा को पैदा करके शान्त हो गए। अतः स्वभाव से सृष्टि रचना मानना यथार्थ नहीं । यदि विष्णु क्रीड़ा (लीला) वश सृष्टि रचना करते हैं, ब्रह्मा आदि को बनाते हैं, तो विष्णु जो आनन्दमय परमात्मा माने जाते हैं, उन्हें क्रीड़ा करने की क्या आवश्यकता है ? क्रीड़ा तो क्षुद्रप्राणी किया करते हैं। यदि वह इच्छावश जगत् की रचना करते हैं, तो इच्छा तो कर्मविशिष्ट अल्पज्ञ जीव में होती है, क्योंकि इच्छा कर्म का कार्य है । कर्मोदय के बिना इच्छा नहीं होती । विष्णु की इच्छा मान भी ले तो भी उनकी यह इच्छा नित्य है या अनित्य ? यदि नित्य है तो उसका कार्य भी नित्य निरन्तर होता रहेगा, कभी उस कार्य में विराम नहीं होगा। अगर अनित्य है, तो उसका कौन-सा कारण है ? कर्म कारण है या अन्य कोई कारण है ? कर्म के सिवाय अन्य कोई कारण नहीं हो सकता। क्योंकि अन्य कोई वस्तु विष्णु के सिवा सृष्टि
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