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समय : प्रथम अध्ययन - तृतीय उद्देशक
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वह कुम्हार एक विशिष्ट जाति का पदार्थ है, इसी तरह जगत् को देखकर उसके विशिष्ट कर्ता — ईश्वर का भी अनुमान किया जा सकता है । यह भी युक्तिविरुद्ध है; क्योंकि घट एक विशेष प्रकार का कार्य है, और उसका कर्ता कुम्हार उसे करता हुआ प्रत्यक्ष देखा जाता है, इसलिए घट को देखकर कुम्हार का अनुमान किया जा सकता है, परन्तु जगत् को देखकर ईश्वर का अनुमान नहीं किया जा सकता । क्योंकि घट को बनाता हुआ कुम्हार जैसे प्रत्यक्ष देखा जाता है, उस तरह नदी, समुद्र, पर्वत आदि को बनाता हुआ कोई बुद्धिमान कर्ता (ईश्वर) कभी प्रत्यक्ष देखा नहीं जाता । अतः जगत् को देखकर विशिष्ट बुद्धिमान कर्ता का अनुमान नहीं किया जा सकता ।
उनका दूसरा तर्क यह था कि 'अनित्य पृथ्वी, पर्वत आदि घटपटादि की तरह कार्य होने से किसी न किसी बुद्धिमान (ईश्वर) के द्वारा बनाए हुए हैं । यह कथन भी भ्रमपूर्ण है । ऐसा कोई नियम नहीं होता कि हर चीज को बनाने वाला कोई न कोई बुद्धिमान कर्ता ही हो । आकाश में बादल बुद्धिमान कर्ता के बिना भी बनने और बिखरते हुए दिखाई देते हैं। बिजली चमकती और नष्ट होती है, जमीन पर पानी बरसने पर घास आदि बुद्धिमान के उगाए बिना ही उगती है, वर्षा ऋतु में पानी बरसता है, शरद ऋतु में ठण्ड और ग्रीष्म ऋतु में गरमी आदि बिना ही किसी बुद्धिमान के पड़ती है । उनके पीछे कोई भी उन पदार्थों के कार्यों को करता हुआ प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता । पदार्थों की उत्पत्ति और नाश तो हम प्रत्यक्ष देखते हैं, लेकिन उनका कर्ता हर्ता तो कोई दिखाई नहीं देता ।
यह तर्क भी निराधार है कि विशिष्ट अवयवरचनायुक्त होने से घटादि पदार्थ जैसे बुद्धिमान कर्ता द्वारा निर्मित हैं, वैसे ही विशिष्ट अवयव रचनायुक्त होने से पर्वतादि पदार्थ भी बुद्धिमान कर्ता (ईश्वर) द्वारा निर्मित हैं; क्योंकि विशिष्ट अवयव रचनायुक्त होने मात्र से सभी पदार्थ बुद्धिमान कर्ता द्वारा निर्मित हों, यह प्रतीति नहीं होती है । यदि ऐसा माना जाएगा तो वल्मीक ( दीमक द्वारा निर्मित मिट्टी का ढेर ) भी मिट्टी की विशिष्ट अवयवरचना से युक्त होने से घट के समान कुम्हार के द्वारा बनाया हुआ सिद्ध हो जाएगा। इसी तरह अवयवरचनामात्र देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि जो-जो अवयवरचनायुक्त है, वह सब बुद्धिमान कर्ता द्वारा किया हुआ है । किन्तु जिस अवयवरचना का बुद्धिमान कर्ता द्वारा निर्मित होना जाना देखा जा चुका है, उसी अवयवरचना को देखकर उसके विशिष्ट कर्ता का अनुमान किया जा सकता है, केवल अवयवरचना को देखकर नहीं । तथा अवयवरचना को देखकर ईश्वर का अनुमान भी नहीं किया जा क्योंकि घटादि पदार्थों की अवयवरचना का विशिष्ट कर्ता कुम्हार ही देखा
सकता,
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