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________________ समय : प्रथम अध्ययन-तृतीय उद्देशक २०३ को चेतावना दे दी है, जो आहार लेने की विधि में दोषों का भंडार अपने जीवन में भरते रहते हैं । दूसरी ओर वे 'श्राम्यति तपस्यतीति श्रमण:' इस व्युत्पत्ति के अनुसार घोर तपश्चर्या भी करते हैं, किन्तु आचार- पालन में प्रमाद सेवन करके विविध दुष्ट कर्मों को बाँध लेते हैं । वे ऐसा क्यों करते हैं ? इसका समाधान 'वट्टमाणसुहेसिणो' पदों द्वारा देते हैं । इसका आशय यह है कि जो साधक साधुजीवन अंगीकार करने के बाद थोड़ा-सा कट आने पर सहन नहीं कर सकते, वे सुख-सुविधायें ढूँढ़ते रहते हैं, प्रमादी बन जाते हैं । आहार-विहार की निर्दोष विधियों को जानबूझकर ठुकराते रहते हैं, आहार के उन दोषों का बार-बार सेवन करते हैं । वे केवल वर्तमान क्षणिक सुख को ही देखते हैं, किन्तु भविष्य के महान् दुःख को नहीं देख पातं । उनकी दशा भी पूर्व गाथा में उक्त वैशालिक मत्स्यों की-सी होती है । वे बेचारे आधाकर्मी आदि दोषयुक्त आहार का उपभोग करके उसके फलस्वरूप प्राप्त होने वाले कटु दुःखों को भोगते हैं । जैसे—अरहट यंत्र बार-बार कुए में डूबता तैरता रहता है वैसे वे ही संसार सागर में बार-बार डूबते-उतराते रहते हैं । इस प्रकार वे अर्धविदग्ध संसार सागर को अनन्त जन्मों तक पार नहीं कर सकते । यही इस गाथा का तात्पर्य है । अब अगली गाथाओं में जगत्कर्ता के बारे में विभिन्न मतों का निदर्शन शास्त्रकार करते हैं— मूल पाठ इणमन्न' तु अन्नाणं इहमेगेसिमाहियं । देवउत्त' अयं लोए, बंभउत्तति आवरे ||५|| संस्कृत छाया इदमन्यत्त्वज्ञानमिहैकेपामाख्यातम् । देवोप्तोऽयं लोकः, ब्रह्मोप्त इत्यपरे ||५|| अन्वयार्थ ( इणं) यह ( अन्नं तु) दूसरा ( अन्नाणं) अज्ञान है | ( इह ) इस लोक में ( एस ) किन्हीं ने (आहियं ) कहा है कि ( अयं ) यह (लोए) लोक (देवउत्त) किसी देव के द्वारा उत्पन्न किया हुआ है । (आवरे ) और दूसरे कहते हैं कि यह लोक (बंभउत्त ति) ब्रह्मा का बनाया हुआ है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003599
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year1979
Total Pages1042
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size17 MB
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