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________________ समय : प्रथम अध्ययन-द्वितीय उद्देशक शास्त्रविहित सम्यक् अनुष्ठान को नहीं जान पाते । ऐसे व्यक्तियों की एक मनुष्यजन्म की जरा सी भूल के कारण मिथ्यात्व और अज्ञान के कारण हुए कर्मबन्धन में जकड़े जाने से वे उन पाशबद्ध मृगों की तरह अनन्तकाल तक विनाश को प्राप्त करते हैं। अर्थात् अनन्तकाल तक उन्हें बार-बार जन्म-मरण करना पड़ता है, संसार के चक्र में परिभ्रमण करना पड़ता है। उन जन्म-मरणों के दौरान जिन-जिन गतियों या योनियों में वे जाते हैं, वहाँ उन्हें सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान नहीं मिलता। इसीलिये शास्त्रकार कहते हैं----'घायमेसंति णंतसो' । वे अनन्तकाल तक विनाश (द्रव्यविनाश -- शरीर का नाश और भावविनाश----आत्मगुणों का नाश, सम्यक्त्व का नाश) प्राप्त करते हैं । अथवा इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि वे अनन्तकाल तक विनाश को ढूंढ़ते हैं । आशय यह है कि एक बार गाढ़ मिथ्यात्व को प्राप्त होने के बाद अनन्तकाल तक वे सम्यक्त्व को नहीं पाकर मिथ्यात्व एवं अज्ञान के वशीभूत होकर अपनी जिंदगी के लिये आत्महत्या या आत्मगुणघात (विनाश) हूँढ़ते रहते हैं। वे मिथ्यात्वरूपी घोर अन्धकार से आवृत होकर अनन्तकाल तक घात (अपने आत्मगुणों की हत्या) करते रहते हैं।' यही शास्त्रकार का आशय प्रतीत होता है। अब अज्ञानवादियों के मत का निराकरण करने के लिये उनकी मान्यता के मिथ्यात्व एवं अज्ञान का पर्दाफाश करते हैं मूल पाठ माहणा समणा एगे, सव्वे नाणं सयं वए । सव्वलोगेऽवि जे पाणा, न ते जाणंति किंचण ॥१४॥ संस्कृत छाया ब्राह्मणाः श्रमणा एके, सर्वे ज्ञानं स्वकं वदन्ति । सर्वलोकेऽपि ये प्राणाः, न ते जानन्ति किंचन ॥१४॥ अन्वयार्थ (एगे) कई (माहणा) ब्राह्मण एवं (समणा) श्रमण (सव्वे) सभी (सयं) अपना-अपना (नाणं) ज्ञान (वए) बघारते हैं, बताते हैं । (सव्वलोगे) किन्तु समस्त १ उपनिषद में भी कहते हैं : असूर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसावृताः। तांस्ते प्रत्याभिगच्छन्ति येके चात्महनो जनाः ।। ईशोपनिषद् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003599
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year1979
Total Pages1042
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size17 MB
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