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ठाणं (स्थान)
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स्थान १० : आमुख किसने किया, यह ज्ञात नहीं है। इतना निश्चित है कि यह अर्वाचीन कृति है और नामसाम्य के कारण इसका समावेश आगम सूची में कर लिया गया।
इसी प्रकार आगम ग्रन्थों की विशेष जानकारी के लिए टिप्पण ४५ से ५५ द्रष्टव्य हैं।
कुछेक सूत्रों में सामाजिक विधि-विधानों का भी सुन्दर निरूपण हुआ है। सूत्र (१३७) में दस प्रकार के पन्नों का उल्लेख है। इनकी व्याख्याएँ विभिन्न प्रकार की सामाजिक विधियों की ओर संकेत करती हैं। 'क्षेत्रज' पुत्र की व्याख्या में बताया गया है कि किसी स्त्री का पति मर गया है, अथवा वह नपुंसक या सन्तानावरोधक व्याधि से ग्रस्त है तो कुल के मुख्यों की आज्ञा से उस स्त्री में, नियोग विधि से, सन्तान उत्पन्न करना भी वैध माना जाता था। इस विधि से उत्पन्न सन्तान को 'क्षेत्रज पुत्र' कहा जाता है । मनुस्मृति में बारह प्रकार के पुत्रों का उल्लेख हुआ है। विशेष विवरण के लिए देखें टिप्पण५८।
सूत्र (१३५) में दस प्रकार के धर्मों का उल्लेख है। 'धर्म' आज चर्चा का विषय बन चुका है। इस सूत्र में धर्म और कर्तव्य का पृथक निर्देश बहुत सुन्दर ढंग से हुआ है।
सूत्र (१६०) में दसों आश्चर्यों का वर्णन है। आश्चर्य का अर्थ है---कभी-कभी घटित होने वाली घटना । इनमें से १, २, ४, और ६ भगवान महावीर के समय में और शेष भिन्न-भिन्न तीर्थंकरों के समय में हुए हैं। इन दसों आश्चर्यों की पृष्ठभमि में अनेक ऐतिहासिक तथ्य गर्भित हैं। इनमें दूसरा आश्चर्य है-भगवान महावीर का गर्भापहरण । इसके सन्दर्भ में अनेक तथ्यों को जानकारी प्राप्त होती है। विशेष विवरण के लिए देखें-टिप्पण ६१ ।
इस स्थान में भी पूर्ववत् विषयों की बहुविधता है। मुख्य रूप से इसमें न्याय शास्त्र के अनेक स्थल, गणित शास्त्र मुख्य भेदों का उल्लेख, वचनानुयोग के प्रकार तथा गणितानुयोग और द्रव्यानुयोग के अनेक सूत्र संकलित हैं । दसवां स्थान होने के कारण इसमें प्रत्येक विषय का कुछ विस्तार से वर्णन हुआ है। इसी प्रकार जीव विज्ञान से सम्बन्धित दस प्रकार के सूक्ष्नों का अध्ययन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । शब्द विज्ञान के विषय में दस प्रकार के शब्द, दस प्रकार के अतीत के इन्द्रिय-विषय, दस प्रकार के वर्तमान के इन्द्रिय-विषय तथा दस प्रकार के अनागत इन्दिय-विषय-ये चारों सूत्र बहुत ही महत्वपूर्ण हैं । ये इस बात की ओर संकेत करते हैं कि जो भी शब्द बोला जाता है उसकी तरंगें आकाशिक रिकार्ड में अंकित हो जाती हैं। इसके आधार पर भविष्य में उन तरंगों के माध्यम से उच्चारित शब्दों का संकलन किया जा सकता है।
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