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ठाणं (स्थान)
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स्थान ७ : सूत्र २३-२७ २३. एतासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त एतासां सप्तानां पृथिवीनां सप्त नाम- २३. इन सात पृथ्वियों के नाम सात हैंणामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा- धेयानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-
१. धर्मा, २. वंशा, ३. शैला, घम्मा, वसा, सेला, अंजणा, घर्मा, वंशा, शैला, अञ्जना, रिष्टा, ४. अंजना, ५. रिष्टा, ६. मघा, रिट्ठा, मघा, माघवती।। मघा, माघवती।
७. माघवती। २४. एतासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त एतासां सप्तानां पृथिवीनां सप्त २४. इन सात पृथ्वियों के गोत्र सात हैंगोत्ता पण्णत्ता, तं जहा- गोत्राणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा
१. रत्नप्रभा, २. शर्कराप्रभा, रयणप्पभा, सक्करप्पभा, रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालकाप्रभा, ३. बालुकाप्रभा, ४. पंकप्रभा, वालुअप्पभा, पंकप्पभा, धूमप्पभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमा, तमस्तमा। ५. धूमप्रभा, ६. तमा, तमा, तमतमा।
७. तमस्तमा।
बायरवाउकाइय-पदं बादरवायुकायिक-पदम् । बादरवायुकायिक-पद २५. सत्तविहा बायरवाउकाइया पण्णत्ता, सप्तविधा बादरवायुकायिका: प्रज्ञप्ताः, २५. बादरवायुकायिक जीव सात प्रकार के तं जहातद्यथा
होते हैंपाईणवाते, पडीणवाते, दाहिणवाते, प्राचीनवातः, प्रतिचीनवातः, १. पूर्व की वायु, २. पश्चिम की वायु, उदीणवाते, उड्डवाते, अहेवाते, दक्षिणवातः, उदीचीनवातः,
३. दक्षिण की वायु, ४. उत्तर की वायु, विदिसिवाते। ऊर्ध्ववातः, अधोवातः,
५. ऊर्ध्व दिशा की वायु, विदिग्वातः ।
६. अधोदिशा की वायू, ७. विदिशा की वायु।
संठाण-पदं २६. सत्त संठाणा पण्णत्ता, तं जहा
दीहे, रहस्से, वट्टे, तसे, चउरंसे, पिहुले, परिमंडले।
संस्थान-पदम्
संस्थान-पद सप्त संस्थानानि प्रज्ञप्तानि, तदयथा- २६. संस्थान सात हैदीर्घ, ह्रस्वं, वृत्तं, त्र्यस्र, चतुरस्र, पृथुलं, १. दीर्घ, २. ह्रस्व, ३. वृत्त-गेंद की परिमण्डलम्।
भांति गोल, ४. त्रिकोण, ५. चतुष्कोण, ६. पृथुल-विस्तीर्ण, ७. परिमण्डलवलय की भांति गोल।
भयट्ठाण-पदं भयस्थान-पदम्
भयस्थान-पद २७. सत्त भयाणा पण्णत्ता, सप्त भयस्थानानि, प्रज्ञप्तानि, २७. भय के स्थान सात हैंतं जहातद्यथा
१. इहलोक भय-सजातीय से भय, इहलोगभए,परलोगभए,आदाणभए, इहलोकभयं, परलोकभयं, आदानभयं, जैसे—मनुष्य को मनुष्य से होने वाला भय, अकम्हाभए, वेयणभए, मरणभए, अकस्माद्भयं, वेदनाभयं, मरणभयं, २. परलोक भय–विजातीय से भय, असिलोगभए। अश्लोकभयम्।
जैसे-मनुष्य को तिर्यञ्च आदि से होने वाला भय। ३. आदान भय-धन आदि पदार्थों के अपहरण करने वाले से होने वाला भय ।
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