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ठाणं (स्थान)
स्थान ६ : सूत्र ४७-५४ लेसा-पदं लेश्या-पदम्
लेश्या-पद ४७. छ लेसाओ पण्णताओ, तं जहा.- षड् लेश्याः प्रज्ञप्ताः , तद्यथा- ४७. लेश्याएं छह हैं---
कण्हलेसा, 'णीललेसा, काउलेसा, कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, तेउलेसा, पम्हलेसा सुक्कलेसा। तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या। ३. कापोतलेश्या, ४. तेजोलेश्या,
५. पद्मलेश्या, ६. शुक्ललेश्या। ४८. पंचिदयतिरिक्खजोणियाणं छ पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां षड् लेश्याः ४८. पञ्चेन्द्रिय तिर्यक-योनिकों के छह लेश्याएं लेसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
होती हैंकण्हलेसा, 'णीललेसा, काउलेसा, कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, १. कृष्णलेश्या, २. नीललेश्या, तेउलेसा, पम्हलेसा, सुक्कलेसा। तेजोलेश्या, पद्मलेश्या, शुक्ललेश्या। ३. कापोतलेश्या, ४. तेजोलेश्या,
५. पद्मलेश्या, ६. शुक्ललेश्या। ४६. एवं—मणुस्स-देवाण वि। __ एवं मनुष्य-देवानामपि।
४६. इसी प्रकार मनुष्यों तथा देवों के छह-छह
लेश्याएं होती हैं। अग्गमहिसी-पदं अग्रमहिषी-पदम्
अग्रमहिषी-पद ५०. सक्कस्स णं देविदस्स देवरष्णो शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य सोमस्य ५०. देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज
सोमस्स महारण्णो छ अग्गमहि- महाराजस्य षड् अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः। सोम के छह अग्रमहिषियां हैं।
सीओ पण्णत्ताओ। ५१. सक्कस्स णं देविदस्स देवरणो शक्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य यमस्य ५१. देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज
जमस्स महारपणो छ अगमाहिसीओ महाराजस्य षड़ अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः। यम के छह अग्रमहिषियां हैं। पण्णताओ।
देवठिति-पदं देवस्थिति-पदम्
देवस्थिति-पद ५२. ईसाणस्स णं देविदस्स [देवरणो?] ईशानस्य देवेन्द्रस्य (देवराजस्य ?) ५२. देवेन्द्र देवराज ईशान की मध्यम परिषद्
मझिमपरिसाए देवाणं छ पलि- मध्यमपरिषदः देवानां षट् पल्योपमानि के देवों की स्थिति छह पल्योपम की है। ओवमाइंठिती पण्णत्ता। स्थिति: प्रज्ञप्ता।
महत्तरिया-पदं महत्तरिका पदम्
महत्तरिका-पद ५३. छ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ षड् दिक्कुमारीमहत्तरिका: प्रज्ञप्ताः, ५३. दिशाकुमारियों के छह महत्तरिकाएं हैं-- पण्णत्ताओ, तं जहा.
तद्यथारूवा, रूवंसा, सुरूवा, रूववती, रूपा, रूपांशा, सुरूपा, रूपवती, १. रूपा, २. रूपांशा, ३. सुरूपा, रूवकता, रूबप्पभा। रूपकान्ता, रूपप्रभा।
४. रूपवती, ५. रूपकांता, ६. रूपप्रभा। ५४. छ विज्जुकुमारिमहत्तरिताओ षड् विद्युत्कुमारीमहत्तरिकाः प्रज्ञप्ताः, ५४. विद्युत्कुमारियों के छह महत्तरिकाएं हैं - पण्णत्ताओ, तं जहा
तद्यथाअला, सक्का, सतेरा, सोतामणी, अला, शक्रा, शतेरा, सौदामिनी, १. अला, २. शक्रा, ३. शतेरा, इंदा, घणविज्जया। विजया। इन्द्रा, घनविद्युत् ।
४. सौदामिनी, ५. इन्द्रा, ६. घनविद्युत् ।
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