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________________ ठाणं (स्थान) स्थान ६ : सूत्र ४०-४२ जीवाभिगम अवधि आदि ज्ञान के द्वारा जीवों का परिज्ञान । आजीवाभिगम [ अवधि आदि ज्ञान के द्वारा पुद्गलों का परिज्ञान] होते हैं१. पूर्व में, २. पश्चिम में, ३. दक्षिण में, ४. उत्तर में, ५. ऊर्ध्वदिशा में, ६. अधोदिशा में । ४०. एवं पंचिदिति रिवखजोणियाणवि एवं पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानामपि ४०. इसी प्रकार पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च और मस्साणवि । मनुष्याणामपि । मनुष्यों की गति आगति आदि छह दिशाओं में होती हैं। आहार -पदं ४१. छहि ठाणेहिं समणे णिग्गंथे आहारमाहारेमाणे णातिक्कमति, तं जहा - संगहणी - गाहा १. वेयण - वेयावच्चे, ईरियट्टाए य संजमट्टाए । तह पाणवत्तियाए, पुण धर्माचिताए । ४२. छह ठाणेह समणे णिग्गंथे आहारं वोच्छिदमाणे णातिक्कमति, तं जहा - संग्रहणी - गाहा १. आतंके उवसग्गे, तितिक्खणे बंभचेरगुत्तीए । पाणिदया-तवहे, सरीरवृच्छेयणट्टाए || Jain Education International ६६४ आहार-पदम् षड्भिः स्थानैः श्रमणः निर्ग्रन्थः आहारं आहरन् नातिक्रामति, तद्यथा संग्रहणी - गाथा १. वेदना-वैयावृत्त्याय, ईर्याय च संयमार्थाय । तथा प्राणवृत्तिकायै, षष्ठं पुनः धर्मचिन्तायै ॥ पड्भिः स्थानंः श्रमणः निर्ग्रन्थः आहारं व्युच्छिन्दन् नातिक्रामति, तद्यथा— संग्रहणी - गाथा १. आतङ्क ब्रह्मचर्यगुप्त्याम् । प्राणिदया - तपोहेतोः, र्थाय ॥ उपसर्गे, तितिक्षणे शरीरव्युच्छेदना For Private & Personal Use Only आहार पद ४१. श्रमण-निर्ग्रन्थ छह कारणों से आहार करता हुआ आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता " संग्रहणी - गाथा १. वेदना -- भूख की पीड़ा मिटाने के लिए। २. वैयावृत्त्य करने के लिए । ३. ईयसमिति का पालन करने के लिए। ४. संयम की रक्षा के लिए। ५. प्राण धारण के लिए । ६. धर्म - चिन्ता के लिए । ४२. श्रमण-निर्ग्रन्थ छह कारणों से आहार का परित्याग करता हुआ आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता संग्रहणी - गाथा १. आतंक ज्वर आदि आकस्मिक बीमारी हो जाने पर । २. राजा आदि का उपसर्ग हो जाने पर । ३. ब्रह्मचर्य की तितिक्षा [ सुरक्षा ] के लिए ४. प्राणिदया के लिए। ५. तपस्या के लिए। ६. शरीर का उत्सर्ग करने के लिए। www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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